हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहिमहुल्लाह की नरम दिली की वजह से रवाफिज और शिया हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहिमहुल्लाह से बाग ए फिदक का मुतालबा कर दिया,
तो हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहिमहुल्लाह ने उनको ये जवाब दिया ,
"फिदक रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का खास था जिसकी आमदनी आप अपनी और बनी हाशिम की जरूरियात पर सर्फ फरमाते थे, हज़रत फातिमा ने अल्लाह के रसूल से ये विरासत मांगी भी थी, लेकिन अल्लाह के रसूल ने अपनी बेटी को ये विरासत नहीं दी, और खुलेफा ए अरबा ने इसको बैतुल माल की मिल्कियत में ही रखा ,
लिहाजा मैं भी इस विरासत को मुसलमानों की ही मिल्कियत समझता हूं, मैं उसको इसी हालत में रहने दूंगा जिस हालात में ये अल्लाह के रसूल के ज़माने में थी"
(किताब सीरत हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ इब्न जौजी पेज 308)
साभार: Umair Salafi Al Hindi
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