आर्य
समाज के कुछ भाईयों द्वारा अक्सर ये आक्षेप किया जाता है कि कुरान मे लिखा
है कि अल्लाह ने फरिश्तों के सामने कुछ वस्तुएं ला के उन्हें चैलेन्ज दिया
कि इन चीजों के नाम बताओ.... लेकिन फरिश्ते नही बता पाए, तब अल्लाह ने आदम
अ.स. से उन वस्तुओं के नाम पूछे और आदम अ.स. ने उन सभी वस्तुओं के नाम बता
दिए .....
इस प्रकार अल्लाह ने फरिश्तों का धोखा दिया क्योंकि अल्लाह ने
आदम अ.स. को पहले से ही उन सारी वस्तुओं के नाम सिखा दिए थे जबकि फरिश्तों को नहीं सिखाए थे
पर इसमे कौन सा धोखा हुआ? क्या अल्लाह ने फरिश्तो के समक्ष पहले से ये ऐलान नहीं किया हुआ था कि मै तुम सबसे श्रेष्ठ रचना बनाने वाला हूँ ???
पर इसमे कौन सा धोखा हुआ? क्या अल्लाह ने फरिश्तो के समक्ष पहले से ये ऐलान नहीं किया हुआ था कि मै तुम सबसे श्रेष्ठ रचना बनाने वाला हूँ ???
बिल्कुल ऐलान किया था, पवित्र कुरान की सूरह 15:29 देखिए, यहाँ लिखा है
अल्लाह ने फरिश्तों से कहा कि मै मनुष्य को बनाने जा रहा हूँ तो जब मै उसे
बना के उसमें प्राण डाल दूं तुम सब उसको सजदा करना
जाहिर है सजदा निम्न श्रेणी वाले ही अपने से बड़ी श्रेणी वाले को करते हैं ।
जाहिर है सजदा निम्न श्रेणी वाले ही अपने से बड़ी श्रेणी वाले को करते हैं ।
जब अल्लाह ने सब फरिश्तो और जिन्नो से आदम को श्रेष्ठ बनाने का निर्णय
किया तो आदम मे फरिश्तो और जिन्नो से अधिक अच्छा तो कुछ अल्लाह को बनाना था
ही, सो उस ने आदम को सबसे अधिक ज्ञान दे दिया
..... धोखा तो तब होता जब
अल्लाह बिना किसी को ये बताए कि आदम उन सबसे श्रेष्ठ होन्गे , आदम अ.स. को
बनाता और फिर सबसे कहता कि इस से ज्यादा जानकर दिखाओ ।
रहा सवाल फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछने का, तो यहाँ भी अल्लाह ने यों ही नही फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछे बल्कि आदम अ.स. किस प्रकार फरिश्तो से श्रेष्ठ होंगे इस विषय मे पहले फरिश्तों ने ही एक जिज्ञासा प्रकट की थी, जिसे शांत करने के लिए अल्लाह ने फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछे ॥ इसे अल्लाह द्वारा फरिश्तों को चैलेन्ज दिया जाना समझना भी ठीक नहीं क्योंकि चैलेन्ज या चुनौती की नौबत तो बहस और लडाई झगड़े मे आती है ....
रहा सवाल फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछने का, तो यहाँ भी अल्लाह ने यों ही नही फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछे बल्कि आदम अ.स. किस प्रकार फरिश्तो से श्रेष्ठ होंगे इस विषय मे पहले फरिश्तों ने ही एक जिज्ञासा प्रकट की थी, जिसे शांत करने के लिए अल्लाह ने फरिश्तों से वस्तुओं के नाम पूछे ॥ इसे अल्लाह द्वारा फरिश्तों को चैलेन्ज दिया जाना समझना भी ठीक नहीं क्योंकि चैलेन्ज या चुनौती की नौबत तो बहस और लडाई झगड़े मे आती है ....
और फरिश्तो
मे अल्लाह से बहस करने की या उसकी बात काटने और अल्लाह के कथन की अवहेलना
करने की सिफत (गुण) नहीं है ...
पवित्र कुरान की दूसरी सूरत की आयत नम्बर 30 से 33 तक के अनुसार ..... जब अल्लाह ने मनुष्य को धरती का उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की तो कुछ फरिश्तो ने जिज्ञासा जाहिर की कि मनुष्य तो धरती मे बिगाड़ पैदा कर सकता है जबकि हम आपकी स्तुति किया करते हैं ..... उनका आशय था कि मनुष्य धरती के लिए उपयुक्त चुनाव नहीं है क्योंकि मनुष्य स्वतंत्र बुद्धि का होगा और अल्लाह की आज्ञा का मनुष्य द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है ...
पवित्र कुरान की दूसरी सूरत की आयत नम्बर 30 से 33 तक के अनुसार ..... जब अल्लाह ने मनुष्य को धरती का उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा की तो कुछ फरिश्तो ने जिज्ञासा जाहिर की कि मनुष्य तो धरती मे बिगाड़ पैदा कर सकता है जबकि हम आपकी स्तुति किया करते हैं ..... उनका आशय था कि मनुष्य धरती के लिए उपयुक्त चुनाव नहीं है क्योंकि मनुष्य स्वतंत्र बुद्धि का होगा और अल्लाह की आज्ञा का मनुष्य द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है ...
तब अल्लाह ने फरिश्तो से कहा कि
मै तुमसे बेहतर जानता हूँ कि कौन उपयुक्त चुनाव है ..... और ये चुनाव कितना
उपयुक्त है ये बताने के लिए कुछ चीजों के नाम बताने को फरिश्तो से कहा तो
फरिश्तो ने कहा कि हमें तो सिर्फ उतना पता है जितना तूने हमें बताया है इन
चीजों के नाम हम नही जानते ।
तब अल्लाह ने फरिश्तो को ये बताने के लिए कि फरिश्तो से ज्यादा ज्ञान अल्लाह ने आदम को दिया है आदम अ.स. को उन चीजों के नाम बताने को कहा, और आदम अ.स. ने उन चीजों के नाम बता दिए ।
तब अल्लाह ने फरिश्तो को ये बताने के लिए कि फरिश्तो से ज्यादा ज्ञान अल्लाह ने आदम को दिया है आदम अ.स. को उन चीजों के नाम बताने को कहा, और आदम अ.स. ने उन चीजों के नाम बता दिए ।
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