इस्लाम से सशंकित हमारे मित्र अक्सर इस्लाम मे पत्नियो के साथ बुरे व्यवहार का शोर मचाते हैं, लेकिन जहाँ तक मै समझता हूँ तो ऐसा है कि, अगर इन्सान ऐन इस्लामी तालीम पर चले तो वो दुनिया का सबसे बेहतर पति साबित होगा, और उसकी बीवी सबसे भाग्यशाली पत्नी
बीवियों से सुलूक के बारे मे मुझे इस्लाम की ये तालीम बहुत पसंद आती है कि बीवी को न सिर्फ उसकी खूबियों, बल्कि उसकी कमियों के साथ भी मुसलमान शौहर कुबूल करे,और औरत का स्वभाव बदलने की जबरदस्ती न करे बल्कि वो जैसी है उसे वैसे का वैसा कुबूल कर के उसके साथ अच्छा सुलूक करता रहे ...॥
पवित्र कुरान मे अल्लाह का फरमान है कि ... "अपनी पत्नी के साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। और यदि वो तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो लेकिन दूसरी ओर अल्लाह ने उसमें बहुत कुछ भलाई रखी होगी," (सुरा 4 आयत 19)
इसी तरह आप स. की ये हदीस शरीफ हजरत अबू हुरैरा से रिवायत है, नबी (सल्ल0) ने फरमाया, "अपनी औरतों के साथ भला सुलूक किया करो, इसलिये कि औरतें पसली से पैदा की गई हैं और पसली टेढ़ी होती है, अगर तुम पसली सीधी करना चाहोगे तो वह टूट जायेगी और अगर उसी तरह छोड़ दोगे तो वो टेढ़ी ही रहेगी, तो तुम औरत को जैसी वो है वैसी ही रखकर उससे काम ले सकते हो, इसलिए औरत के साथ अच्छा व्यवहार किया करो"
[ बुखारी शरीफ किताब 55, नम्बर 548: और बुखारी, किताब 62: नम्बर 113 ]
अक्सर स्त्रियों पर इसी कारण से तो अत्याचार हो जाते हैं कि मर्द खुद को औरत का मालिक समझकर, अपनी पत्नी की अस्ल शख्सियत और उसकी पसंद नापसन्द को दबाकर उसको अपनी मर्ज़ी का गुलाम बनाकर जीना चाहता है ....
लेकिन प्यारे नबी स. ने मुसलमानों को अपनी बीवियों के साथ ये ज़ुल्म करने से रोक दिया है.. आप स. ने फरमाया कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारी गुलाम नहीं बल्कि तुम्हारी पार्टनर हैं ... नबी स. ने हमेशा हम मुसलमानों को अपनी बीवियों से नरमी, मोहब्बत और भलाई के साथ ही पेश आने की तालीम दी ।
स्वयं आप स. एक बेहतरीन पति थे अपनी पत्नियों के साथ भला व्यवहार करने मे आप सल्ल. सबसे आगे रहते, आप स. अपनी बीवियों से बहुत अच्छे ढंग से बातें करते, उनका जी बहलाते, उनसे प्रेम करते और उनके कामों मे स्वयं हाथ बंटाया करते थे.... इस आशय की बहुत सारी हदीसें प्रमाणस्वरूप मौजूद हैं ...। नबी (सल्ल0) ने फरमाया, "ईमान में सबसे ज्यादा मुकम्मल वह आदमी है जिसकी आदत और अख्लाक सबसे अच्छें हों तथा तुम मे सबसे बेहतर वो है, जो अपनी बीबी के साथ सबसे अच्छा बर्ताब करता हो।"
अल-तिरमिज़ी 628
और तो और हज्जतुल विदा के बहुत ही महत्वपूर्ण मौके पर भी आप सल्ल. ने तमाम मुसलमानों को सम्बोधित करते समय अपने अभिभाषण के काफी हिस्से मे पत्नियो के साथ भले सुलूक और उनके अधिकारों के बारे मे मुसलमानों को तालीम दी थी ....
सुब्हान अल्लाह ये है हमारा दीन ..... "इस्लाम" , जो सबके लिए रहमत का खज़ाना है ।