Wednesday, October 22, 2014

CERVICAL CANCER KI WAJAH AUR ISLAMI ILAAJ






भारत मे गर्भाशय मुख कैंसर ( सर्वाइकल कैंसर ) से मर जाने वाली स्त्रियों की संख्या शेष विश्व के मुकाबले सर्वाधिक है , 

यानि इस क्षेत्र मे भी भारत की हालत विश्व मे सबसे बदहाल है
आंकड़ों के मुताबिक भारत मे हर वर्ष स्त्रियों मे गर्भाशय मुख कैंसर के 1,32,000 नए केस दर्ज किए जाते हैं, इनमें से 72,000 स्त्रियाँ इस रोग के कारण मर जाती हैं ... शेष स्त्रियों के आपरेशन कर के उन के गर्भाशय सफलतापूर्रक निकाल दिए जाते हैं .... 


अर्थात् वे स्त्रियाँ सदा के लिए औलाद की खुशी से हाथ धो बैठती हैं ।
वैसे महिलाओं मे सर्वाइकल कैंसर फैलने का एक कारण निजी अंगो की स्वच्छता के प्रति उन महिलाओं की लापरवाही भी होती है, लेकिन सर्वाइकल कैंसर मुख्य तौर पर सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज़ के रूप मे स्त्रियों को अपनी गिरफ्त मे लेता है....... 


महिलाओं में गर्भाशय मुख कैंसर का कारण ह्युमन पैपिलोमा वायरस होता है । यह वायरस पुरुष अंग की फोरस्किन के अन्दर पनपता है जो शारीरिक संबन्ध के दौरान महिलाओं में प्रेषित हो जाता है ,

जबकि खतने मे पुरुष की ये फोरस्किन ही शल्यक्रिया द्वारा निकाल दी जाती है जिस कारण पुरुष अंग पर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस नहीं पैदा होता, क्योंकि वायरस को पनपने के लिए नमी का वातावरण नही मिल पाता ... 


और स्त्रियों मे उन के पुरुष साथी के द्वारा सर्वाइकल कैंसर पैदा होने की सम्भावना शून्य हो जाती है ॥
इसी कारण ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में अप्रेल 2002 में प्रकाशित एक आर्टिकल का सुझाव था कि पुरुषों द्वारा अपना खतना करा लेने से महिला गर्भाशय मुख कैंसर को बीस फीसदी तक कम किया जा सकता है,

सन् 2012 मे भारत मे "Cancer Mortality in India" नाम से एक सर्वे किया गया था इस सर्वे मे पाया गया कि भारत मे हिंदू महिलाओं के मुकाबले मुस्लिम महिलाओं मे सर्वाइकल कैंसर के केस बेहद कम पाए गए ... सर्वे मे जम्मू कश्मीर और असम जहाँ मुस्लिम आबादी बहु संख्यक यानि 75% और 40% है , मे महिलाओं मे सर्वाइकल कैंसर के रुझान का अध्ययन करने पर ये ज्ञात हुआ कि इन क्षेत्रों मे सर्वाइकल कैंसर के मामले राष्ट्रीय औसत के चौथाई से भी कहीं कम हैं ...
 

सर्वे से ये निष्कर्ष निकाला गया कि मुस्लिम महिलाओं मे गर्भाशय मुख कैंसर के मामले नगण्य पाए जाने का कारण मुस्लिम पुरुषों मे अनिवार्य रूप से किया जाने वाला खतना था
 

यह एक बड़ा प्रमाण था, इसके अतिरिक्त भी अन्य कई शोध और अनुसंधान यही सुझाते हैं कि जिन पुरुषों द्वारा खतने को अपनाया जाता है उन की स्त्रियों मे गर्भाशय मुख कैंसर का खतरा न के बराबर होता है ॥
सोचिए इस विषय मे भारत मे कितनी भयावह स्थिति है ..... 


क्या इस बात की जरूरत नहीं कि भारतीय पुरुषों द्वारा हर तरह की हिचक छोड़ के इस बेहद लाभकारी चिकित्सा अर्थात् खतना को अपना लिया जाए ........ क्योंकि ऐसा न किया गया तो पूरी एक नस्ल खत्म होने की कगार पर पहुंच रही है