Wednesday, June 24, 2020

KYA BILAD E HARAMAIN KA DIFA ISLAM KA DIFA HAI ??






बिलाद ए हरमैन का दिफ़ा क्या इस्लाम का दिफ़ा है ??

इत्तेफाक़ से पिछले हफ्ते दिल्ली जाना हुआ जहां मेरे एक दोस्त से एक तहरीकी इख्वान ने मेरी शिकायत की के में आखिर तुर्की के खिलाफ ( उर्डुगानी तुर्की की हकीकत ) क्यूं लिखता हूं ?? और क्या सऊदी का दिफ़ा इस्लाम का दिफ़ा है ??

उस तहरीकी को मुझ से डॉयरेक्ट शिकायत करने की हिम्मत नहीं हुई, कहने पर उसका जवाब था मैं ऐसे सख्स से बात नहीं करता जो सऊदी का दिफ़ा करे,

दरअसल मेरी तहरीरों से सिर्फ उर्दूगानी तुर्की की हकीकत ही सामने नहीं आई है बल्कि तहरीकिओं का निफाक़ भी खुल कर सामने आ गया है,

और मै सऊदी का दिफ़ा नहीं बल्कि सलाफियत का दिफ़ा कर रहा हूं, और जो भी इस वक़्त सलफियत का मुहाफिज है उसके खिलाफ प्रोपगंडों का जवाब दे रहा हूं, रजा ए इलाही के खातिर

और क्या सऊदी से नफरत और उसके खिलाफ प्रोपगंडा करना और इल्हादी तुर्की का दिफ़ा और मजूसी ईरान को दार उल इस्लाम समझना इस्लाम का दिफ़ा है ??

आखिर जिन्हें दुश्मन ए सहाबा राफ्जी ईरानियों से मुहब्बत है वह तौहीद परस्त बिलाड ए हरमैन को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं, एक तहरीकी ने बेग़ैर किसी मुजलिमत के कहा था के मुझे सऊदी अरब से अल्लाह के वास्ते नफरत है, मैंने कहा :- " वाक़ई तुम हकीकि मानो में मौदूदि परस्त तहरीकी हो "

अगर कोई तहरीकी सऊदी अरब से नफरत और रफ्जी ईरान से मुहब्बत ना करे तो वह तहरीकी ही नहीं है ,

अब्रहा वक़्त राफजी हुसियों ने काबा पर मिसाइल फेंका किसी तहरीकी ने उसके खिलाफ ना एहतेजाज किया ना कोई आर्टिकल लिखा, आखिर क्यूं ??

बिलाद ए हरमैन का दिफ़ा अगर हरमैन का दिफ़ा नहीं है तो फिर मैं नहीं जानता के किसका दिफ़ा इस्लाम का दिफ़ा है,

साभार: मौलाना अजमल मंजूर मदनी

तर्जुमा : Umair Salafi Al Hindi