Saturday, June 20, 2020

DEEBAL KI FATAH





आज आपको दो प्राचीन शहर दीबल मौजूदा कराची और बुखारा की एक दास्तान सुनाता हूं,

कहा जाता है जब मुहम्मद बिन क़ासिम ने दीबल का मुहासरा किया तब ये मुहासिरा काफी लंबा हो गया, मुसलमानों को किले में घुसने की कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी, और मुसलमानों कि परेशानी देख कर किले के अंदर के लोग मुसलमानों पर हस्ते और फब्तियां कसते,

एक दिन मुहम्मद बिन क़ासिम के एक जासूस ने खबर दी के इस किले में एक मंदिर है, जिसमें ऊपर एक बड़ा सा घंटा है किले के लोगों का मानना है कि जब तक ये घंटा महफूज़ है हम सुरक्षित है,

फिर क्या था, मुहम्मद बिन कासिम ने एक बड़ी से मंजनीक ( पत्थर फेंकने वाली तोप) बनवाई और अपने तोपची से कहा सिर्फ इस घंटे पर निशाना लगाओ, और ऐसा ही हुआ 10-15 गोलों से वो घंटा गिर गया और अंदर के लोग भागते हुए किले से बाहर आ गए,

दूसरा किस्सा एक प्राचीन शहर बुखारा का है कहा जाता है कि ये औलिया की सर ज़मीन है, 1868 में जब रूसियों का लश्कर बुखारा पर हमला करने के लिए निकला तब बुखारा के लोगों की ये सोच थी के बुखारा औलिया की सर ज़मीन है, हमें कुछ नहीं हो सकता, औलिया हमारी मदद करेंगे,

लेकिन तारीख ने देखा रूसियों ने औलियाओं की क़ब्रों पर घोड़े दौड़ाए, और बुखारा को फतह कर लिया,

कहने का तात्पर्य ये है कि जब तक अकीदा ए तौहीद मुस्लिमो में रहेगा तब तक मुसलमान गालिब रहेंगे , शिरक और बीदत से सिर्फ जिल्लत है मिली है,

नोट: नीचे पिक्चर दीबाल के किले की गई,

Umair Salafi Al Hindi