Friday, March 5, 2021

AADMI HAR WAQT BADALTA HUA UNIT HAI

 



आदमी हर वक्त बदलता हुआ यूनिट है उसका अखलाक एक वक्त में बहुत अच्छा, एक वक्त में कम अच्छा, एक वक्त में सिरे से होता ही नहीं।


एक दिन में इन्सान पर इतने मराहिल आते हैं के वह किसी चीज पर टिकता ही नहीं, आपकी कोई दूसरी नमाज़ पहले जैसी नहीं होती और आपके मराहिल आपके ख्याल और आपके फिकरें हर जगह आपको तब्दील करती रहती हैं,

फिर अगर उन्हीं खताकारियों में आपकी खता के मुर्तकिब हो जाएं तो मसला ये नहीं के आप तौबा के बाद फिर तौबा क्यूं करेंगे,

या तौबा के बाद तौबा करने का मकसद नहीं बल्कि मकसद ये है के जब भी खता हो, खुलूस दिल से तौबा करनी चाहिए चाहे आपको 70 मर्तबा तौबा करनी पड़े,

जब जबलत कमज़ोर होगी तो तौबा ग़ालिब हो जायेगी और इंशा अल्लाह ताला एक दिन ज़रूर आएगा के हज़रत ए इन्सान अपनी खताकारियो की रवीश से इंकार करने के काबिल हो जायेगा

साभार: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: Islamicleaks.com