बस एक चीज़ का ध्यान रखना,
किसी को ख़ुद मत छोड़ना,
दूसरे को फ़ैसला करने का मौक़ा देना,
यह अल्लाह की सिफ़त है,
अल्लाह कभी अपनी मख़लूक़ को तंहा नही छोड़ता,
मख़लूक़ अल्लाह को छोड़ती है,
और ध्यान रखना!
जो जा रहा है उसे जाने देना,
मगर जो वापस आ रहा है,
उसके लिए कभी दरवाज़ा बंद मत करना,
यह भी अल्लाह की सिफ़ात है,
अल्लाह वापस आने वालों के लिए अपना दरवाज़ा खुला रखता है,
तुम यह करते रहना,
तुम्हारे दरवाज़े पर मेला लगा रहेगा______![✍️](https://static.xx.fbcdn.net/images/emoji.php/v9/te2/1/16/270d.png)
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मरियम खान