जिद्दी औरतें नाकाम हैं,
जिद्दी औरतें अपनी शादियों में बल्कि रिश्तेदारों के साथ अपने ताल्लुकात में भी नाकाम हो जाती हैं, ऐसी औरतें जो लोगों के जज़्बात का ख्याल नहीं रखती और मामलात में लचक नहीं रखती उनकी शादियां मुकम्मल नाकाम हो जाती हैं, बल्कि उनकी जिंदगी भी नाकाम हो जाती है क्यों ??
वह अपने शौहर के साथ अना की जंग लड़ती रहती हैं शौहर पर काबू पाने की कोशिश में लगी रहती हैं, इस जंग में वो हमेशा हार जाती हैं, वह कभी ये जंग नहीं जीत सकती क्योंकि मर्द जिद करने वाली बीवी और ज़िद्दी बहन के सामने और ज्यादा जिद्दी हो जाते हैं, और वह एक नरम और फर्माबरदार औरत के सामने बहुत ज्यादा नरम हो जाते हैं,
एक ज़िद्दी औरत सोचती हैं के वह अपनी राय पर असरार करके जीत जाएगी और वह किसी भी मुखालिफत का सामना कर लेगी जबकि वह ये भूल जाती है के ये जंग वह अपनी ज़िद और ज़बान से जीत भी जाए तो वह उस दिल से महरूम हो जायेगी जो उसे प्यार करता था और उसकी फिक्र में लगा रहता था,
तमाम शकाफ्तों और हिक्मतों में एक आसान, नरम, हमदर्द, साबिरा और दरगुजर करने वाली औरत की तारीफ की गई है, यहां तक के नबी ए करीम मुहम्मद सल्लालाहू अलैहि वसल्लम और सहाबा किराम ने एक ऐसी औरत की तारीफ की है जो अपने शौहर का एहतेराम करती है और नरमी और हिकमत के साथ बोलती है और इसके नतीजे में वह उससे हमेशा मुहब्बत करेगा और उससे कभी दूर नहीं जायेगा ,
वह औरत जो अपने शौहर की बात मान लेती है और तूफान के गुजरने तक सब्र कर लेती है, वह अकलमंद औरत है अपने घर को बिखरने से बचा लेती है और वह औरत जो खुश्क छड़ी की तरह बे लचक खड़ी होती है वह टूट जाती है जिसका दोबारा जुड़ना मुमकिन नहीं,
समझौता ना करने वाली औरत अपनी राय से चिमटी रहती है वह मुसलसल अपनी जीत का वहम बरकरार रखने की कोशिश करती है, इस वहम में रहती है के मैं जीत गई और आप हार गए , मैं ठीक हूं और आप गलत हैं, ऐसी औरत दूसरों को तबाह करने से पहले खुद को तबाह कर देती है और वह दुनिया और आखिरत में गमजदा और मायूसी की जिंदगी बसर करती है चूंकि उसे प्यार और मुहब्बत चाहिए जो हारा हुआ मर्द नहीं दे सकता , उसकी जबानी जीत हकीकत में उसकी जिंदगी की हार थी,
अजदावाजी जिंदगी के लंबे तजुर्बात में मैंने देखा के जिद्दी औरतों की जिंदगी हमेशा तलाक से दो चार होती है, और उनकी खानदानी और समाजी जिंदगी हमेशा तल्खियों से भरी रहती है,
एक अरब औरत ने शादी के दिन अपनी बेटी को जो नसीहत की थी, तमाम कामयाब औरतें उसे एक औरत के लिए बहतारीन तोहफा समझती हैं, उसकी नसीहत थी,
"तुम उसकी फर्माबरदार बन जाओ और यकीनन बहुत जल्द वो तुम्हारा गुलाम बन जाएगा,
मर्द महरबान, फैयाज, हमदर्द होते हैं, लेकिन एक ज़िद्दी, बेवकूफ औरत उन्हे दुश्मन बना देती है,"
आखिर में एक साहब का कौल नकल करता हूं
_" मैं 27 साल तक एक अदालत का काज़ी रहा और मैने देखा के तलाक के ज्यादातर वाकयात मर्द के गुस्से और औरत के बेवकूफाना रद्देअमल की वजह से होते है,"
दूसरे लफ्जों में औरत की जिद्द मर्द को उससे दस गुना ज्यादा जिद्दी बनाती है,
मनकूल
साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks