Friday, March 26, 2021

RASM AUR ISLAM

 



कई कई हफ्तों तक बा आवाज़ बुलंद बेहूदा गानों पर नाच कर पड़ोसियों का जीना हराम करके ,


बेपरदगी के साथ मिक्स गैदरिंग के मज़े लेकर,

दिखावे वा नुमाइश के लिए लाखों के कर्ज़ लेकर बेहतरीन दहेज़ और ऊंची किस्म की दावत और रंगीन माहौल बना करके ,

और तमाम गैर शरई रस्मों को लाज़िमी समझ कर अदा करते हुए,

गर्ज ये के अल्लाह की नाफरमानी के तमाम रिकॉर्ड तोड़ने के बाद, सारे बुरे काम करने के बाद मेरे समाज में कुरआन पाक के साए में बेटी की रुखसती की जाती है,

फिर कहते हैं घरों में बरकतें नहीं हैं, आमदनी पूरी नहीं होती, दिन रात लड़ाई झगडे होते हैं, जिंदगी में बेचैनी है, सुकून हासिल करने के लिए नींद की गोलियां का सहारा लेना पड़ता है,

कर्ज़ अदा करने की फिक्र ने डिप्रेशन का मरीज़ बना लिया है,

लगता है किसी ने बुरी नज़र लगा दी है या फिर किसी ने हसद में जादू कर दिया है, यानी कहीं से भी खुद को कुसूरवार ठहराने को तैयार नहीं, ये सोचने को तैयार नहीं के....

ये सब हमारी अपने कर्मों की सजा है,
ये सब अल्लाह की नाराज़गी का नतीजा है,
ये सब नबी ए करीम मुहम्मद सल्लालाहू अलैहि वसल्लम की सुन्नतों को तोड़ने का अंजाम है,

अब भी अपने गिरेबान में झांकने को तैयार नहीं,
अब भी अपने आमालों की इस्लाह की फिक्र नहीं,
हम जायज नाजायेज़ , हलाल हराम की फिक्र भूल चुके हैं,
फिर कहते हैं जिंदगी में सुकून नहीं,

जब कुछ समझ नहीं आता तो दुआ तावीज ढूंढने के चक्कर में लग जाते हैं, के कहीं से कोई चमत्कारी वजीफा मिल जाए जिससे चंद मिनटों में मसाइल हल हो जाएं,

याद रहे इस्ताघफर और दुआ से बहतरीन कोई वजीफा नहीं, अपने गुनाहों की माफी मांगना और हमेशा के लिए तौबा कर लेना , अल्लाह को इससे ज्यादा महबूब अमल कोई भी नहीं,

ये सारी परेशानियां हमारी काले अमाल का नतीजा है, लेकिन हमें गुनाहों की माफी मांगना और अपने अमाल सुधारना गवारा नहीं,

अब भी ना सुधरे तो कब सुधरेंगे!!,

मौत की गारंटी है के सौ फीसद आएगी , जिंदगी की कोई गारंटी नहीं के कब तक रहेगी,

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks