Monday, March 29, 2021

शादियों के वक्त पर औरतों का हद से बड़ जाना, (किस्त 1)

 



शादियों के वक्त पर औरतों का हद से बड़ जाना, (किस्त 1)


दुल्हन का नीम बरहना लिबास , गैर मर्दों का औरतों को अलग अलग अंदाज से फोकस करके कमरे में बंद करके फिल्में बनाना और बाप भाई की गैरत के कान पर जूं तक ना रेंगना , और तो और कुछ दीनदार घरानों में भी इस मौका पर हया का जनाजा उठता नज़र आता है के दिल खौफ से कांप जाता है,

मूवी मेकर , फोटो ग्राफर ऐसे बन ठन कर शादी के प्रोग्राम में आते हैं जैसे शादी ही उनकी हो, ना जाने आपकी गैरत कैसे गवारा कर जाती है के एक गैर मर्द आपकी नई नवेली दुल्हन को आपके पहले देखे और अलग अलग स्टाइलों से उसका फोटो सेशन करे ??

अफसोस

अब तो ऐसे रंज वा गम का वक्त है की किस किस चीज़ को रोया जाए ?? दूल्हा मियां खुद मूवी मेकर, फोटो ग्राफर को गाइडलाइन दे रहा होता है की ,

" ये मेरी बहन है, मेरी कजिन, मेरी खाला और ये दुल्हन की बहन, अम्मा खाला वगेरह वगेरह हैं"

और साथ ही उसे सख्ती से कहता है के ," सब लेडीज की तस्वीर ठीक से बनाना"

लम्हा ए फिक्रिया तो ये है के जो बंदा जितना गरीब है वह उतना ही ज्यादा पैसा इन गुनाह की रस्मों पर खर्च करता है, चाहे उधार ही क्यूं ना लेना पड़े,

पूछो तो ये लोग कहते हैं," हमारी बिरादरी में ऐसा करना रिवाज है, खानदान में नाक कट जायेगी, लोग कहेंगे फलां की शादी पर नाच गाना, रांड़ का डांस , आतिश बाज़ी, फायरिंग नहीं हुई शादी में जाने का मजा नहीं आया "

याद रखो!!

जिन लोगों को दिखाने के लिए आप ये सब बेजा रस्में अदा करते हैं उनको आपके बेटे - बेटी की तलाक से कोई फर्क नहीं पड़ता , उन लोगों को कोई परवाह नहीं के आपने पैसे उधार लिया है या दिन दहाड़े डाका मारा है, यही लोग आपकी औलाद के तलाक के मौके पर कहते हैं,

" इतनी फहाशी तो फैलाई थी इन लोगों ने शादी के मौके पर तो अंजाम तो बुरा ही होना था"

भाई और बहनों ! दुनिया नहीं जीने देती ,दुनिया को नहीं देखो अपनी जेब को देखो , इस्लाम के हुदूद को देखो, इस्लाम ने तो शादी को इंतेहाई आसान बनाया है, इन मिट्टी के पुतलों ( इंसान) को नाजायेज खुश करने के लिए गुनहगार मत बनो,

अल्लाह ताला को खुश करोगे तो आपकी शादी कामयाब होगी इंशा अल्लाह,

बहुत से लोग शादियों के मौका पर घरों और मैदानों , सड़कों पर टेंट लगा लेते हैं और औरतों का नाच देखते हैं, निकाह का इन नाचने वाली औरतों से क्या ताल्लुक है ??

बहुत से शादियों में देखा है की घरों के बुजुर्ग भी इन फहस महफिलों में शामिल होते हैं और इन फहश औरतों से फहाश हरकतें सर ए आम करते हैं, और बहुत सी जगहों में देखने में आया है के " दूल्हा मियां" खुद इन फाहश औरतों के साथ डांस के साथ साथ फहाश हरकात करना भी ज़रूरी समझता है,

आप खुद ये फैसला करो ये शादी के मौके पर आप अल्लाह के अजाब को दावत दे रहे हो के नहीं ??ऐसी शादी में बरकत कैसे आ सकती है ??

जारी.....

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks