Wednesday, March 17, 2021

KHALIFA ABDUL MALIK BIN MARWAN

 



खलीफा अब्दुल मलिक बिन मरवान बैतुल्लाह का तवाफ कर रहे थे, उसकी नजर एक नौजवान पर पड़ी, जिसका चेहरा बहुत पुरवकार था मगर वह लिबास से मिसकीन लग रहा था, खलीफा अब्दुल मलिक ने पूछा,

ये नौजवान कौन है ?? तो उसे बताया गया के इस नौजवान का नाम सालिम है और ये सय्यदना हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर का बेटा और सय्यदना हज़रत उमर बिन खत्ताब का पोता है,
खलीफा अब्दुल मलिक को धचका लगा और उसने उस नौजवान को बुला भेजा,
खलीफा अब्दुल मलिक ने पूछा के बेटा मैं तुम्हारे दादा हज़रत उमर बिन खत्ताब का बड़ा मदाह रहा हूं और मुझे तुम्हारी ये हालत देख कर बड़ा दुख हुआ है और मुझे खुशी होगी अगर मै तुम्हारे कुछ काम आ सकूं, तुम अपनी ज़रूरत बयान करो, जो मांगोगे तुम्हे दिया जाएगा ,"
नौजवान ने जवाब दिया :- ए अमीर उल मोमिनीन ! मैं इस वक़्त अल्लाह के घर बैतुल्लाह में हूं और मुझे शर्म आती है के अल्लाह के घर में बैठ कर किसी और से कुछ मांगुं"
खलीफा अब्दुल मलिक ने उस लड़के के पुरनूर चेहरे पर नज़र दौड़ाई और खामोश हो गया,
खलीफा ने अपने गुलाम से कहा :- के ये नौजवान जैसे ही इबादत से फारिग हो कर बैतुल्लाह से बाहर आए तो उसे मेरे पास लेकर आना"
सलीम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर जैसे ही फारिग होकर हरम काबा से बाहर निकले तो गुलाम ने उनसे कहा के :- अमीर उल मोमीनीन ने आपको याद किया है "
तो सलीम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर खलीफा के पास पहुंचे
खलीफा अब्दुल मलिक बिन मरवान ने कहा :- " नौजवान ! अब तो तुम बैतुल्लाह में नहीं हो, अब अपनी हाजत बयान करो, मेरा दिल चाहता है के मैं तुम्हारी कुछ मदद करूं,
सलीम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर ने कहा :- ए अमीर उल मॉमिनीन ! आप मेरी कौनसी ज़रूरत पूरी कर सकते हैं, दुन्यावी या आखिरत की??"
अमीर उल मोमिनीन ने जवाब दिया के :- मेरे हाथ में तो दुनियावी माल वा ताकत ही है"
सलीम बिन अब्दुल्लाह बिन उमर ने जवाब दिया :- " अमीर उल मोमिनीन दुनिया तो मैंने कभी अल्लाह से भी नहीं मांगी, जो इस दुनिया का मालिक है, आपसे क्या मांगूगा , मेरी ज़रूरत और परेशानी तो सिर्फ आखिरत के हवाले से है,अगर इस सिलसिले में आप मेरी कुछ मदद कर सकते हैं तो मैं बयान करता हूं, "
खलीफा अब्दुल मलिक बिन मरवान हैरान वा शर्मिन्दा हो कर रह गए, और कहने लगे के :- नौजवान ये तू नहीं, तेरा खून बोल रहा है "
खलीफा अब्दुल मलिक बिन मरवान हैरान वा शर्मिन्दा छोड़कर सालिम् बिन अब्दुल्लाह बिन उमर अलैहि रहमा वहां से निकले और हरम से लगी किसी गली में दाखिल हुए और नज़रों से ओझल हो गए ,
उर्दू से मनकूल
तर्जमा: Umair Salafi Al Hindi