Monday, March 15, 2021

TAMAM TAR QURBAAN JIS PAR WAHI CHAHAT MANGI GAYI

 



तमाम तर चाहतें कुरबान जिस पर, वही चाहत मांगी गई।
वक़्त ऐ कुबुलियत था, अल्लाह से अल्लाह की मुहब्बत मांगी गई।

ना और कोई आरज़ू, ना मजीद ख्वाहिश रही बाक़ी
हर्फ ए आखिर में हुआ सवाल तो तहज्जुद की आदत मांगी गई।