Tuesday, July 28, 2020

EK SE ZYADA SHADIYAN (MONOGAMY TO POLYGAMY)





एक से ज़्यादा शादियां (From Monogamy To Polygamy)

एक औरत का दर्द भरा खत पढ़ें और अपनी राय दें,

" लाख बार सोचा के ये खत लिखूं या ना लिखूं क्यूंकि मुझे डर है कि मेरी ये बातें कुछ औरतें पसंद ना करें बल्कि शायद वो मुझे पागल समझें लेकिन फिर भी जो मुझे हक सच लगा बाकायदा होश ओ हवाश में लिख रही हूं, मेरी इन बातों को शायद वह औरतें अच्छी तरह समझ पाएंगी जो मेरी तरह कुंवारी घरों में बैठी बैठी बुढापे की सरहदों को छू रही हैं

बहरहाल मै अपना मुख्तसर किस्सा लिखती हूं शायद मेरा ये दर्द दिल किसी बहिन कि ज़िन्दगी संवारने का जरिया बन जाए और मुझे उसकी बरकत से उम्महातुल मोमिनीन की पड़ोस में जन्नत उल फ़िरदौस में ठिकाना मिल जाए,

मेरी उमर 20 साल हो गई तो में भी आम लड़कियों किं तरह अपनी शादी के सुहाने सपने देखा करती और सुहाने सुहाने खयालात की दुनिया मगन रहती के मेरा शौहर ऐसा ऐसा होगा, हम मिल जुल कर ऐसे रहेंगे, हमारे बच्चे होंगे और हम उनकी ऐसी ऐसी अच्छी परवरिश करेंगे वगेरह वगेरह

और में उन लड़कियों में से थी जो ज़्यादा शादियां करने वाले मर्द को ना पसंद करती हैं और अल्लाह ताला के इस हुकम की शदीद मुखालिफत करती हैं क्यूंकि मैं इसे ज़ुल्म समझती थी, अगर मुझे किसी मर्द के बारे में पता चलता के वह दूसरी शादी करना चाहता है तो में उनकी इतनी मुखालिफत करती के उसकी नानी याद आ जाती और मैं उसे बेतहाशा बद्दुआएं देने लगती और इस सिलसिले में मेरी अपने भईयों और चाचाओं से भी अक्सर बहेस रहती वह मुझे ज़्यादा शादियों की अहमियत के बारे में बताते, क़ुरआन वा हदीस की रोशनी में और मौजूदा दौर के हालात के ऐतबार से समझाने की बहुत कोशिश करते मगर मुझे कुछ समझ ना आती बल्कि में उन्हें भी चुप करवा देती,

इस तरह दिन, हफ्ते, महीने, साल गुजरते गए मेरी उमर 30 साल से ज़्यादा होने लगी और इंतजार करते करते मेरे सर पर चांदी चमकने लगी लेकिन मेरे ख्वाबों का शहजादा ना आया !!!

या अल्लाह! में क्या करूं? जी चाहता है घर से बाहर निकल कर आवाज़ें लगाऊं की मुझे शौहर की तलाश है,

जवानी की शुरुआत से लेकर अब तक मैंने नफस वा शैतान का किस तरह मुकाबला किया इस बेहूदगी और बेहयाई के माहौल में कैसे बचती रही मैं उसे सिर्फ अल्लाह का फजल और मां बाप की दुवाएं ही समझती हूं वरना......

अगर्चे घर वाले भाई वगेरह सब मेरी ज़रूरियात का खयाल रखते, हर तरह की दिल जोई करते, मेरे साथ हस्ते खेलते मजबूरन मुझे भी उनके साथ हसी मज़ाक में शरीक होना पड़ता लेकिन मेरी वह हसी खोखली होती,

मुझे वह हदीस याद आती जिसका मतलब कुछ यूं है के बैगैर शादी के औरत हो या मर्द, मिस्कीन होते हैं और वक़ाई मैं नेमतों भरे घर में मिसकीन थी,

खुशी या घमी की तकरीब में रिश्तेदार अज़ीज़ ओ अकारीब जमा होते तो जी चाहता के उनको चीख चीख कर बताऊं के मुझे शौहर चाहिए लेकिन फिर सोचती के लोग क्या कहेंगे के ये कैसी बेशर्म लड़की है, बस खामोशी और सब्र के सिवा कुछ भी चारा नहीं था,

जब में अपनी हम जोलियों और सहेलियों के बारे में सोचती के वह तो अपने घरों में अपने शौहरों और बच्चों के साथ खुश ओ खुर्रम ज़िन्दगी बसर कर रहीं हैं तो मुझे अपनी इस खिलाफ ए फितरत ज़िन्दगी पर घुस्सा आता,

घर की महफिलों में सब के साथ मिलकर खुश तो थी लेकिन मेरा दिल खून के आंसू तो रहा था, लड़के तो फिर भी अपनी शादी को जरूरत का एहसास घर वालों को दिला सकते हैं लेकिन लड़कियां अपनी फितरत शर्म ओ हया में ही घुटी दबी रहती हैं,

वह तो अल्लाह का शुक्र है के मेरे बड़े भाई की शादी एक आलिमा लड़की से हो गई जो मशा अल्लाह दीनी और दुनियावी उलूम के साथ साथ तकवा , पाकीज़गी, और दीगर सिफात हसना से मुतसफ थी,

शादी के चंद दिन बाद ही मदरसा लिल बनात शुरू कर दिया गया मैं भी बी ए के बाद फारिग थी, तो मैंने भी अपनी प्यारी भाभी के हुस्न ए सुलूक से मुतासिर होकर सबसे पहले दाखिला ले लिया, उनकी तरगीबी बातें सुनकर मेरा कुछ ध्यान बटा और तसल्ली हुई और मदरसे की पढ़ाई के साथ उन्होंने कुछ मस्नून दुआएं और अस्कार भी बताए जिसको पढ़ने से दिल को सुकून महसूस हुआ, वह तो मेरे लिए रहमत का कोई फरिश्ता ही साबित हुई

अगर वह ना होती तो ना जाने में किन गुनाहों के दलदल में धंस चुकी होती या खुद कुसी की हराम मौत मर कर जहन्नुम की किसी वादी में दर्दनाक अजाब सह रही होती,

एक दिन मेरे बड़े भाई घर आए और बताया के आज आपके रिश्ते के लिए कोई सहाब आए थे लेकिन मैंने इनकार कर दिया,

मैंने चीखते हुए कहा आखिर क्यूं ??

कहने लगे वह तो पहले ही शादी शुदा था और मुझे आपका पता था के आप कभी भी दूसरे शादी वाले मर्द को क़ुबूल नहीं करेंगी, आप तो दूसरी शादी करने वाले के शख्त खिलाफ है ,

मैंने कहा नहीं भाई नहीं ! अब वह बात नही !

जबसे मैंने भाभी जान के पास क़ुरआन वा हदीस का इल्म हासिल करना शुरू किया है, सीरत नबवी पढ़ी है तो क़ुरआन वा हदीस के नूर से मेरे दिमाग़ की गिरहैं खुलना शुरू हुईं और मुझे अल्लाह ताला के इस हुकम की हिकमतें समझ आने लगीं,

अब तो में किसी मर्द की दूसरी तो क्या तीसरी और चौथी बीवी बनने के लिए भी खामोशी से तैयार हूं..

और मैंने जो अब तक अल्लाह ताला के इस हुकम की मुखालिफत की उस पर में इस्तघाफर करती हूं

अल्लाह की कसम !

जब तक ज़्यादा शादियों करने वाला अल्लाह का हुक्म हुज़ूर सल्लालहो अलैहि वसललम और सहाबा किराम के दौर की तरह आम ना होगा निकाह आसान हो ही नहीं सकता,

जिस मर्द ने ज़िन्दगी भर एक ही शादी करने का फैसला और अज़म बना रखा है वह कभी तलाक़ शुदा, बेवा, गरीब, मिस्कीं या किसी भी ऐतबार से किसी कमी का शिकार लड़की से शादी नहीं करेगा,

एक दिन क़ुरआन पाक को तिलावत करते हुए ये आयात नजर से गुजरी

ذٰلِکَ بِاَنَّهُمْ کَرِهوْا مَا اَنْزَلَ اللّٰہُ فَاَحْبَطَ اَعْمَالَهُمْ ...

" ये ( हलाकत) इस लिए के वह लोग अल्लाह ताला के नाजिल करदह एहकामात से नाखुश हुए पस अल्लाह ताला ने भी उनके अमाल बर्बाद कर दिए "

इस पर तो मेरे रोंगटे ही खड़े हो गए मैंने तो अल्लाह ताला के इस हुकम को ना सिर्फ ना पसंद समझा बल्कि उसकी शदीद मुखालिफत करती थी,

अल्लाह ताला मुझे माफ़ फरमाए मैं इस खत के जरिए से मर्द हजरात तक ये पैग़ाम पहुंचाना चाहती हूं के अगर इंसाफ करने की नीयत और ताकत हो तो आप जरूर अल्लाह ताला के इस हुकम को ज़िंदा कीजिए,

दो, तीन, और चार शादियां को फरोग दीजिए और दुखी दिलों की दुआएं लीजिए, बाक़ी जो औरत आएंगी अपना नसीब साथ लाएगी और उससे जो औलाद होगी वो भी अपना नसीब साथ लाएगी,

राज़िक तो सिर्फ एक अल्लाह है और उसी अल्लाह ने क़ुरआन में शादियों की बरकत से घनी करने का वादा किया है, और नबी ए करीम सल्लाल्लहो अलैहि वसल्लम ने भी तंग दस्ती दूर करने का ये भी नुस्खा बताया है,

इस मौजु पर एक मिसाल ज़ेहन में आईं के एक बार हुकूमत ने फौजियों को डूबते हुए लोगों को बचाने की ऐसी ट्रेनिंग दी के हर फौजी एक वक़्त चार चार डूबते को बचा सके, !

अचानक ज़ोर दार सैलाब आ गया बेशुमार लोग सैलाब की जद में आकर डूबने लगे, हुकूमत ने फौरी एक्शन लेते हुए फौज को भेजा के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को बचाएं अब ये फौजी जो उन पानी में कूद कर बजाए चार चार आदमी को निकालने लगे,

अगर सिर्फ एक एक को निकाल पर इक्तेफा करें और बाक़ी चीखते चिल्लाते रहें बचाओ बचाओ, हमें भी बचाओ और वह बेचारों की सुनी अन सुनी कर दें और उन्हें आसानी से डूबने और मरने दें,

तो आप उन्हें क्या कहेंगे ?
हुकूमत उन्हें क्या कहेगी?
क्या हुकूमत उन्हें शाबाशी देगी ?

या दूसरी सूरत:

अगर किसी रहेम दिल फौजी को उन पर तरस आ जाए और वह किसी और डूबते को बचाने लगे तो पहले जो चिमटा हुआ है वह कहे के खबरदार अगर किसी और कि तरफ हाथ भी बढ़ाया बस मुझे ही बचाओ बाक़ी डूबते मरते रहें उनकी तरफ देखो भी मत, !

अब इसे क्या कहा जाएगा ?

कहीं इस मामले में हमारे यहां भी कुछ ऐसा नहीं ही रहा है !!!

قال الله تعالیٰ:

فَانْکِحُوْا مَا طَابَ لَکُمْ مِّنَ النِّسَآء مَثْنٰی وَ ثُلٰثَ وَ رُبٰعَ فَاِنْ خِفْتُمْ اَلَّا تَعْدِلُوْا فَوَاحِدَۃً اَوْ مَا مَلَکَتْ اَیْمَانُکُمْ....
(سورة النسا- آیت نمبر 3)

क़ुरआन करीम में ज़्यादा शादियों वाली इस आयात में बिल्कुल यही साफ नजर आ रहा है के असल हुकम तो ज़्यादा शादियों का है मजबूरन एक पर इकतेफा करना जायज है,

मसलन अगर आप अपने मुलाजिम को भेजें के जाओ गोश्त लाओ, हा अगर गोश्त ना मिले तो दाल ले आना, यानी असल हुकम तो गोश्त का ही है, मजबूरन दाल है,

इसकी दलील हुज़ूर सल्लालाहो अलैहि वसल्लम, खुलेफा ए राशिदीन और अक्सर सहाबा किराम का अमल है, इन मेसे कोई एक भी हमारे मर्दों की तरह एक वाला नहीं सब के सब ज़्यादा शादियों वाले हैं,

अगर आप अपना दीनी और दुनियावी मसरू फियत का बहाना बनाएं तो भी सहाबा कि जिंदगियों को देखें वह आपसे ज़्यादा दीनी और दुनियावी मसरू फियत वाले आदमी थे, लेकिन फिर भी उन्होंने अल्लाह ताला के इस फरमान ए आलीशान की मंशा को समझते हुए एक से ज़्यादा निकाह किए,

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर कुछ अरब औरतें प्ले कार्ड उठाए बाकायदा जुलूस की शक्ल में निकल कर मर्दों को झिंझोड़ते हुए कहा रही थी:

تزوجوا مثنی وثلاث ورباع ان کنتم رجالا ....

के ए मर्दों ! अगर तुम वाक़ई मर्द हो तो दो दो, तीन तीन, चार चार शादियां करो और बे शुमार बेनिकाही औरतों के लिए हलाल का रास्ता आसान करो,

ज़रूरी नहीं के आपकी पहली बीवी मे कोई ऐब या कमी हो तो ही आप ये कदम उठाए , इसके बेधैर भी आप रसूल अल्लाह सल्लालाहो अलैहि वसल्लम की इत्तेबा में ये अमल कर सकते है ,

हज़रत आयशा हर लिहाज से बेहतर थी फिर आपने इतने निकाह फरमाए,

और चंद बातें में उन मुसलमान बहेनो से करना चाहती हूं जिनको अल्लाह ताला ने शौहर से नवाजा है वह अल्लाह का शुक्र अदा करें के वह मुझ जैसी करोड़ों बे निकाह मीस्कीन औरतों में से नहीं है,

आपको शायद अंदाजा ही नहीं के बे निकाह रहने म कैसी कैसी मशक्कत से गुजरना पड़ता है, ठीक है आप पर भी कुछ ना कुछ मशककतें आती रहती हैं उन पर तो इंशा अल्लाह आपको अजर मिलेगा लेकिन ये खिलाफ ए फितरत बे निकाह रहना इंतेहाई खतरनाक है,

मेरी आपसे गुज़ारिश है के अगर आपके शौहर इस मुबारक सुन्नत को ज़िंदा करना चाहते हैं जिसे लोग मेरी तरह अपनी जिहालत और नादानी की वजह से गुनाह समझते हैं तो बराए महेरबनी उनके लिए हरगिज़ हरगिज़ रुकावट ना बनें,

हज़रत आयशा राजियलः को पता चल जाता था ये जो औरत हुज़ूर की खिदमत में हाज़िर हो रही है उससे आप निकाह कर सकते हैं, लेकिन वह तो कभी भी रुकावट नहीं बनी और फिर आप उन औरत से निकाह कर भी लेते,

आप भी हज़रत आयशा (राजि) के नक्स ए क़दम पर चलते हुए अगर रुकावट नहीं बनेंगी तो अल्लाह ताला उनके साथ आपका हसर फरमाएंगे,

अल्लाह से डरिए, अल्लाह से डरिए , अल्लाह से डरिए,

अल्लाह के हुकम को पूरा करने में अपने शौहर की मुआविन बनिए और करोड़ों औरतों में से अपनी ताकत के बाक़द्र कुछ तो कमी करने का जरिए बनें,

इस हुकम को बुरा समझने वाली मेरी बहनों !

खुदा ना खवस्ता अगर आपका शौहर अल्लाह को प्यारा हो जाए और आप जवानी में बेवा हो जाएं और आपसे कोई कुंवारा मर्द शादी करने को तैयार ना हो तो फिर आप पर क्या बीतेगी,

ज़रा सोचिए !

हदीस की रू से हम उस वक़्त तक मोमिन नहीं हो सकते जब तक जो अपने लिए पसंद करते हैं वो ही दूसरों के लिए ना पसंद करने लगें,

लिहाज़ा जैसे आपको अपने शौहर और बच्चों के साथ रहना पसंद है उसी तरह आप दीगर खवातीन के लिए भी ये ही पसंद कीजिए और अगर इस सिलसिले में आपको कोई कुर्बानी देना पड़े तो अल्लाह की रजा के लिए क़ुबूल कीजिए और फिर अल्लाह ताला के खजानों से दुनिया वा आखिरत की खुशियां हासिल कीजिए,

मेरी प्यारी बहनों !

ये दुनिया फानी और आरजी है और दार उल इम्तेहान है, आखिरत बाक़ी और हमेशा हमेशा के लिए दार उल इनाम है, इस इसार और कुर्बानी पर आखिरत में जो अल्लाह ताला इनाम से नवाजेंगे आप उनका अंदाजा ही नहीं लगा सकतीं,

अल्लाह ताला के दीदार की एक झलक आपको इस सिलसिले में आने वाली तमाम मुश्किलात, मशक्कत, और तकलीफों को भुला देगी,

मेरी दिल से दुआ है के अल्लाह करे के मेरी किसी बहिन को अल्लाह के इस हुकम को पूरा करने और फरोग़ देने पर कभी भी कोई तकलीफ़ ना आए बल्कि राहत ही मिलती रहे,

अल्लाह ताला तो अपने बंदों से एक मां से भी सत्तर गुना ज़्यादा मुहब्बत करते हैं, अल्लाह ताला के हर हर हुकम में उसकी तरफ से रहमतें और बरकतें मिलती रहेंगी, नबी ए करीम मुहम्मद साल्लालाहो अलैहि वसल्लम भी रह्मतुल लिल आलमीन है वह कभी भी हमें ऐसा हुकम सादिर नहीं फर्मा सकते जो ज़र्रा बराबर भी हमारे लिए मुश्किल और परेशानी का बास हो,

अल्लाह ताला हमारा हामी और नासिर हो, और अल्लाह ताला मेरी जैसी तमाम बहनों को खैर के रिश्ते अता फरमाए,

एक किताब में ज़्यादा शादियां करने के फजायेल और फायदे पढ़े वह भी आपकी खिदमत में पेश कर दूं,

1- एक से ज़्यादा शादियां करने पर नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लहो अलैहि वसल्लम की कसरत ए उम्मत वाली चाहत पूरी होगी,

2- ज़्यादा बीवीओं के मिलकर रहने में दीन की महनत करना आसान हो सकता है,

3- सौकन बनकर रहने से अस्वाज ए मुताहहरात वा सहबियात की मुशाबेहत और उसकी बरकत से जन्नत में उनकी रिफाकत हमेशा हमेशा के लिए मिल सकती है, अगर इसकी वजह से खुदा ना खवास्ता कुछ परेशानी दुनिया में आ भी गई तो आखिरत की हमेशा हमेशा की ला महदुद ज़िन्दगी में अस्वाज़ ए मुतहहरात के पड़ोस वाली जन्नत की एक झलक सारी दुखों को भुला सकती है,

4- इस हलाल रिश्ते के बंद होने की वजह से बेशुमार मर्द हराम और गलत रास्तों से अपनी ख्वाहिश पूरी करने पर मजबूर है तो जब मर्दों को निकाह करके हलाल तरीके से अपनी ख्वाहिश पूरी करने पर हदीस पाक की रू से सदके का सवाल मिलेगा तो उसमे पहली बीवी जो बखुशी इजाज़त देती है उसको भी पूरा पूरा सवाब मिलेगा,

5- मेरी नौजवान लड़कियों और लड़कों के मां बाप से पुर असरार और दर्द मंदाना गुजारिश है के मेरे इस दर्द भरे खत को अपने बेटे या बेटी की तरफ से समझिए,

अल्लाह के लिए तमाम रस्म ओ रिवाज जो खुद साखता है शरीयत में जिनका कोई सबूत नहीं, अक्सर रस्म ओ रिवाज तो गैर मुस्लिम से लिए गए हैं, उन सब से तौबा कीजिए, शादी को आसान बना कर उनकी बरकात मुलाहिजा कीजिए,

ये तो नबी ए करीम मुहम्मद साहब का फरमान है, जिसका मतलब ये है के

" बा बरकत है वो निकाह जिसमें खर्च कम हो"

चुनंचे लड़की वाले लड़के वालों में लिए और लड़के वाले लड़की वालों के लिए आसानी पैदा करें ताकि निकाह में कम से कम खर्च हो,

अल्लाह पर भरोसा कीजिए और देखिए के अल्लाह ताला कैसे अपना वादा पूरा करते हुए आपके लिए काफी हो जाएगा,

ومن یتوکل علی الله فھوحسبه
अस्सलाम अलैकुम

आपकी गुमनाम बहिन

ट्रांसलेटर: UmairSalafiAlHindi