Friday, July 31, 2020

KYA HAJJ KA TARQ QAYAMAT KI NISHANI HAI





हज का तर्क कयामत की निशानी है, इस हदीस को दूसरी हदीस की रोशनी में देखना चाहिए

हज़रत अबू सईद खुद्री की इसी हदीस की शुरुआत में ये अल्फ़ाज़ है. "ليحجن البيت وليعتمرن بعد خروج يأجوج ومأجوج " के याजूज वा माजूज के बाद भी हज्ज वा उमराह जारी रहेगा,गोया ये मुतलक नहीं है बल्कि बिल्कुल आखिरी ज़माने की बात है

फिर इसी बाब में इसी हदीस से पहले इमाम बुखारी ने हज़रत अबू हुरैरा की हदीस ज़िक्र की है
يخرب الكعبة ذو السويقتين من الحبشة. البخاری رقم الحدیث: 1591۔

और हब्शा का जुल्सुविकितीन नामी शख्स खाना काबा को गिरा देगा,

मतलब करीब कयामत में काबा मुन्हदम कर दिया जाएगा फिर हज़्ज वा तवाफ बंद हो जाएगा, इसी लिए हाफ़िज़ इब्न हज़र रहमतुल्लाह ने सुरः माईदा आयात 97 से इस्तादलाल किया है की

" काबा की बका कयामत आने की दलील है "
مادامت موجودة فالدين قائم. الفتح 3/ 574۔

नोट : किसी एक टुकड़े को लेकर फैसला नहीं किया जाता है बल्कि मसले से मुतालिक तमाम शराई नुसूस को देखने के बाद ही हुकम लगाया जाता है वरना लोग कुछ का कुछ समझ बैठते हैं