Wednesday, July 29, 2020

JAMHOORIYAT ( REAL FACE OF DEMOCRACY)







अगर लोगों को लगता है कि हमने 1947 में आजादी पा ली तो ऐसे लोग सिर्फ गुमान में जी रहें हैं, दरअसल वो आजादी नहीं एक गुलामी से दूसरी गुलामी की तरफ पलायन था,

और वो गुलामी थी लोकतंत्र की गुलामी जिसे यहूदियों लाबी कंट्रोल करती है, 1947 से पहले भारत एक सुपर पॉवर था अमेरिकन डॉलर भारतीय रुपया से बहुत कमजोर था, अरब मुल्क दरिद्रता में जी रहे थे, दुबई, यूएई बंजर रेगिस्तान के इलावा कुछ नहीं था,

फिर ऐसा क्या हुआ कि इन 70 सालों में भारत जैसा सुपर पॉवर देश भीकारी बन गया, आज वर्ल्ड बैंक के कर्जों का मोहताज है, बात बात पर वर्ल्ड बैंक से पैकेज मांगता रहता है,

क्या आपको पता है वर्ल्ड बैंक जो कर्ज देता है उस पर मोटा ब्याज यानी सूद वसूलता है, और इस ब्याज की वसूली सरकार जनता पर कर लगाकर करती है, यही वजह है कि भारत जैसा सुपर पॉवर देश आज बिखारी मुल्कों में आ चुका है,

हकीकत यही है लोकतंत्र, ग्रेट ब्रिटेन के पतन के बाद जिन जिन मुल्कों ने लोकतंत्र को अपनाया वो बिखरी होते चले गए, और जिन्होने इसे ठुकराया वो कामयाब होते चले गए, ब्रिटेन में आज भी बड़े फैसलों में महारानी से मशवरा होता है,

दरअसल लोकतंत्र को चलाने के लिए खून और पैसा चाहिए ,कंगाल विपक्ष यहूदी लाबी से पैसा लेता है और चुनाव लड़ता है, जब वो जीत जाता है तो यहूदी लाबी को सूद समेत वो कर्ज चुकाता है,

दूसरी जगह है पेपर करंसी जिसे पूरा यहूदी लाबी कंट्रोल करती है, पेपर करंसी को छपने के एवज में 35% मूल्य का गोल्ड भारत को गिरवी रखना पड़ता है, और उसके बदले में कागज के टुकड़े छापने की अनुमति मिलना ये एक आर्थिक गुलामी है,

उदाहरण के तौर पर समझिए अगर यहूदी लाबी चाहे तो किसी भी देश को चुटकियों में प्रतिबंध लगा कर बर्बाद कर सकती है फिर आपके ये कागज के टुकड़े सिर्फ हवा खाने के लिए ही रह जाएंगे,
मौजूदा सूरत ए हाल को देखते हुए यही बेहतर है कि भारत को 100-100 साल के लिए कांग्रेस और बीजेपी को लीज ले लेना चाहिए,