Monday, July 27, 2020

SCIENCE HAMEN KAHAN SE KAHAN LE AAYA




साइंस हमें कहां से कहां ले आयी है !!!!

पहले वो कुवें का मैला और गदला पानी पी कर 100 साल जी लेते थे,
अब RO और पुरिफायर का साफ पानी पी कर भी 40 साल में बूढ़े हो रहें हैं,

पहले वह घानी का मैला तेल खा कर और सर पर लगा कर बुढापे में भी महनत कर लेते थे,
अब डबल फिल्टर और जदीद प्लांट पर तैयार कुकिंग ऑयल और घी में पका खाना खा कर जवानी में ही हाफ रहे हैं,

पहले वह देले वाला नमक खा कर बीमार ना पड़ते थे,
अब हम आयोडीन वाला नमक खा कर हाई और लो ब्लड प्रेशर का शिकार हैं,

पहले वह नीम, बबूल, कोयला और नमक से दांत चमकाते थे और 80 साल की उम्र तक भी चबा चबा कर खाते थे,
अब कोलगेट और डॉक्टर टूथ पेस्ट वाले रोज़ डेंटिस्ट के चक्कर लगाते हैं,

पहले सिर्फ रूखी सूखी रोटी खा कर फिट रहते थे,
अब बर्गर, चिकन कड़ाही, विटामिन और फूड सप्लीमेंट खा कर भी कदम नहीं उठाया जाता,

पहले लोग पड़ना लिखना काम जानते थे मगर जाहिल नहीं थे,
अब मास्टर लेवल हो कर भी जिहालत की इंतेहा पर है,

पहले हकीम नब्ज़ पकड़ कर बीमारी बता देते थे,
अब स्पेशलिस्ट सारी जांच कराने पर भी बीमारी नहीं जान पाते हैं,

पहले वह 7-8 बच्चे पैदा करने वाली माएं, जिन्हें। शायद ही डॉक्टर मयस्सर आता था 80 साल की होने पर भी खेतों में काम करती थी,
अब डॉक्टर को देख भाल में रहते हुए भी ना वह हिम्मत ना वा ताकत रही,

पहले वह काले पीले गुड की मिठाइयां ठूस ठूस कर खाते थे,
अब मिठाई की बात करने से पहले ही सुगर की बीमारी हो जाती है,

पहले बुजुर्गों के कभी घुटने नहीं दुखते थे,
अब जवान भी कमर दर्द और घुटनों के दर्द से परेशान है,

पहले 100 वॉट के बल्ब सारी रात जलाते और 200 वाट का टी वी चला कर भी बिल 200 रुपया महीना आता,
अब 5 वाट का LED एनर्जी सवेर और 30 वाट के LED टी वी में 2000 फी महीना से कम बिल नहीं आता,

पहले खत लिख कर सब की खबर रखते थे,
अब टेलीफोन मोबाइल फोन इंटरनेट हो कर भी रिश्तेदारों को कोई खैर खबर नहीं,

पहले गरीब और कम आमदनी वाले भी पूरे कपड़े पहनते थे,
अब जितना कोई अमीर होता है उसके कपड़े उतने कम होते जाते हैं,

समझ नहीं आता कम कहां खड़े है ??
क्यूं खड़े हैं ?
क्या खोया क्या पाया ??
साइंस हमारे लिए रहमत है या जहमत ??