याद करो जब ज़करिया ने अपने रब से दुआ की !!
उसने अर्ज़ किया, “ऐ परवरदिगार! मेरी हड्डियाँ तक घुल गई हैं और सर बुढ़ापे से भड़क उठा है। ऐ परवरदिगार! मैं कभी तुझसे दुआ माँगकर नाउम्मीद नहीं रहा।
मुझे अपने पीछे अपने भाई-बन्दों की बुराइयों का डर है, और मेरी बीवी बाँझ है।
तू मुझे अपनी ख़ास मेहरबानी से एक वारिस दे दे जो मेरा वारिस भी हो और आले-याक़ूब की मीरास भी पाए।
और ऐ परवरदिगार! उसको एक पसन्दीदा इन्सान बना।
(जवाब दिया गया) “ऐ ज़करिय्या! हम तुझे एक लड़के की ख़ुशख़बरी देते हैं, जिसका नाम यहया होगा। हमने इस नाम का कोई आदमी इससे पहले पैदा नहीं किया।
अर्ज़ किया, “परवरदिगार! भला मेरे यहाँ कैसे बेटा होगा, जबकि मेरी बीवी बाँझ है और मैं बूढ़ा होकर सूख चुका हूँ?”
जवाब मिला, “ऐसा ही होगा। तेरा रब फ़रमाता है कि ये तो मेरे लिये एक ज़रा-सी बात है। आख़िर इससे पहले मैं तुझे पैदा कर चुका हूँ जबकि तू कोई चीज़ न था।”
(क़ुरआन सूर मरयम आयत 4-8)
यहूदी हज़रत ज़करिया को ताने मारा करते थे के तुम्हारे बाद तुम्हारा खानदान खतम हो जाएगा, हज़रत ज़करिया को डर था कि कहीं मेरे जाने के बाद ये लोग उसकी बीवी और भतीजी मरयम को परेशान ना करें,
इस बिना पर हज़रत ज़करिया ने तन्हाई में अल्लाह से दुआ की और अल्लाह रब्बुल इज्ज़त ने उनकी दुआ क़ुबूल फरमाई,
लम्हा ए फिक्रिया है उन लोगों के लिए जो अल्लाह से दुआ के लिए गाफिल है, और अल्लाह से दुआ नहीं करते, और तरह तरह का वासीला लगाते हैं,
और ये इब्रत है उन लोगों के लिए जो बेऔलाद हैं, उन्हें अल्लाह से उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, तवक्कुल अल्लाह पर होना चाहिए,
UmairSalafiAlHindi
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