Saturday, July 18, 2020

QAUM KE RAHBAR KAISE PAIDA HONGE AUR HAMARA HAAL







कौम के रहबर कैसे पैदा होंगे ? और हमारा हाल

और जब इमरान की बीवी ने कहा :-" ऐ मेरे अल्लाह ! मैं उस बच्चे (लड़का) को जो मेरे पेट में है तेरी नज़र करती हुं, वह तेरे दीन के काम के लिए कुर्बान होगा, मेरी इस नज़र को कुबूल कर तू सुनने वाला और जानने वाला है,

फिर जब वो बच्ची (लड़की) उसके यहां पैदा हुई तो उसने कहा :-" मालिक मेरे यहां तो लड़की पैदा हो गई है ! "
हालांकि उसने जो पैदा किया था अल्लाह को उसकी खबर थी,

" और लड़का लड़की की तरह नहीं होता, खैर मैंने इसका नाम मरयम रखा दिया है, और में इसे और इसकी आगे की नसल को धुत्कारे हुए शैतान के फितने से तेरी पनाह में देती हूं "
आखिरकार उसके रब ने उस लड़की को कुबूल कर लिया...

(क़ुरआन सूर आल ए इमरान आयत 35-37)

जब हज़रत इमरान की बीवी हामिला थीं तो उसने मन्नत की थी के जो औलाद पैदा होगी मैं उसे तेरे दीन के लिए कुर्बान कर दूंगी, लेकिन उनके यहां लड़की पैदा हो गई,

लेकिन उन्होंने अल्लाह से शिकायत नहीं की बल्कि अल्लाह की मर्ज़ी को कुबूल किया, और अल्लाह ने उस लड़की मरयम को इज्जत बक्शी ,

इस बात से ये बातें सामने आती है के नज़र और मन्नत मांगना इस्लाम में जायज है, लेकिन वही। मन्नत काबिल ए कुबूल है जो अल्लाह की रजा के लिए हो,
हम अपने बच्चे के मुस्तकबिल के लिए प्लांनिंग कर सकते हैं, सिर्फ अल्लाह की रजा के लिए,

यानी ऐसी मन्नत या नज़र जो अल्लाह की रजा के लिए हो उससे अल्लाह कुबूल करता है, और उसमे बरकत देता है, जैसे इमरान की बेटी मरयम के पेट से ईसा को पैदा किया जो नबी थे,
हम शिकायत करते हैं कि कौम में कोई रहबर पैदा क्यूं नहीं होता ?? जो कौम को राह ए रास्त पर के आए,

तो इसका जवाब है कि हमारी कौम में ऐसा औरतें ही नहीं नहीं जो ऐसे बेटे पैदा कर सके, क्यूंकि उनमें दीन की समझ शून्य होती है, हम शादी के लिए दीन दारी को नहीं बल्कि खूबसूरती और खानदान को तरजीह देने लगे हैं,
जब हमारी बीवियां हामीला होती है तो हम उनका दिल बहलाने के लिए मूवी थ्रिएटर , पब्लिक पार्क, रेस्टोरेंट, तो के जाते हैं, लेकिन उन्हें इतनी तौफीक नहीं मिलती के रब के सामने उस बच्चे के लिए दुआ कर सके,
फिर जैसा बुओ के वैसा ही काटोगे,