Wednesday, July 22, 2020

HAZRAT UMAR BIN AL KHATTAB KI AAKHIRI KHWAHISH







हज़रत उमर फारूक की आखिरी ख्वाहिश

जब अबू लुलू ने आपको नमाज़ ए फज्र में जख्मी कर दिया ,कड़ी जरब लगने की वजह से आप बेहोश होकर गिर पड़े, अबू लुलु दूसरों को खंजर मारते हुए भाग खड़ा हुआ, आखिर में पकड़ा गया तो अपने आपको खंजर मार कर हलाक कर लिया,

उस वक़्त हज़रत उमर फारूख को उठाकर घर लाया गया, थोड़ी देर में आपको होश आ गया तो बेटे से पूछा
" मैं तेरे बाप की हैसियत से कैसा था "

तो उनके बेटे हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर ने जवाब दिया
" आप हमारे लिए बेहतरीन बाप थे "

हज़रत उमर ने फ़रमाया के उम्मुल मोमीनीन हज़रत आयशा के पास जाओ और कहो के उमर चाहते हैं के आप उन्हें नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहों अलैहि वसल्लम के पाईनाते ( पैरों के नीचे ) दफन होने के जगह दे दें "

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर गए तो देखा कि हजरत आयशा रो रहीं थीं
अर्ज़ किया के हज़रत उमर फारूख की ये ख्वाहिश है के नबी ए अकरम मुहम्मद सल्ललाहों अलैहि वसल्लम के पैतियाने दफन किए जाएं,

हज़रत आयशा ने जवाब दिया के :-" वो जगह तो मैंने अपने लिए रखी थी लेकिन हज़रत उमर की ख्वाहिश की बुनियाद पर मैं वह जगह उन्हें देती हूं "
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर वापस आए और हज़रत आयशा की इजाज़त दिए जाने कि खबर उन्हें सुनाई,

हज़रत उमर फारूख ने कहा :-" मेरे इंतकाल के बाद वो दोबारा हज़रत आयशा से इजाज़त तलब करना और कहना के उमर फारूख ने यहां दफन किए जाने की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी, उनकी इजाज़त मिलने पर ही मुझे उस जगह दफन करना, हो सकता है कि मेरा पास वा लिहाज़ करते हुए उन्होंने इजाज़त फरमा दी हो, हज़रत आयशा के घर जाओ तब अमीर उल मॉमिनीन कह कर इजाज़त ना तलब करना ...... "

हज़रत उमर फारूक की अमानत वा दियानत की ये इतनी बड़ी दलील है कि उन्होंने बाद मर्ज अपने आपको अमीर उल मॉमिनीन कहने से रोक दिया के अब वो हकीकत में अमीर उल मॉमिनीन नहीं रह गए थे
अल्लाह ताला आपका मुकाम बुलंद तर बुलंद रखे और जन्नत उल फ़िरदौस में जगह नसीब फरमाए
आज के हुक्मरान भी अगर इस सादगी, हक पसंदी, और हमदर्दी अख्तियार करें तो अहद फारूखी की झलक अहले इस्लाम में फिर आ सकती है