Friday, January 1, 2021

NIKAH ME DERI KE ASBAAB





मैं डॉक्टर फातिमा हूं कल मैं ड्यूटी पर थी के एक खुदकुशी का इमरजेंसी केस आ गया, खुदकुशी करने वाली लड़की का नाम मुंतहा था और मैंने अपने आठ साल कैरियर और गुज़री ज़िन्दगी में पहली बार इतनी खूबसूरत लड़की देखी थी


मरीजा हालत ए बेहोशी में थी उसको उठा कर उसको अस्पताल पहुंचाने वाले उसके मां बाप थे, मां बाप भी माशा अल्लाह बेहतरीन पर्सनैलिटी के मालिक थे मगर उस वक़्त बेटी के इस अमल ने उनकी हालत काबिल ए रहम बना रखा था पता नहीं क्यूं मुझे लड़की पर प्यार और उसके वालिदैन की बेबसी देखकर बेइंतेहा तरस आ रहा था,

लड़की को ऑपरेशन थियरेटर लाया गया ऑपरेशन के बाद उसको वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया था और वालिदैन को बता दिया गया था के लड़की की हालत खतरे से बाहर है लड़की की खैरियत का पता चलते लड़की का वालिद गरीबों में कुछ तकसीम करने के लिए निकल गया तो लड़की की मां को मैंने अपने ऑफिस में बुलवाया,

मुख्तसर लड़की को मां ने जो कहानी सुनाई वो कुछ यूं थी,

लड़की का नाम मुंतहा है और मुंतहा ने टेक्सटाइल इंजीनियरिंग कर रखी है पढ़ाई के बाद तमाम वालिदैन की तरह मुंतहा के वालिदैन की भी ख्वाहिश थी के वह अपने घर की हो जाए, इसलिए उन्होंने इसके मुतालिक मुंतहा से उसकी पसंद के मुताल्लिक़ पूछा तो मूंतहा ने बाक़ी लड़कियों की तरह फैसले का अख़्तियार मां बाप को दे दिया,

मुंतहा के मां बाप ने कहीं रिश्ते की बात चलाई तो एक फ़ैमिली मुंतहा को देखने अाई, नाश्ता पानी और ख़िदमात से मस्तफिद होने के बाद औरतें मुंतहा के कमरे में आईं ,किसी ने मुंताहा को चलकर देखने की फरमाइश की किसी ने बोलने और किसी ने उसकी हाथ कि चाय पीने की ख्वाहिश जाहिर की, इसके बाद इजाज़त लेकर चली गईं और कुछ रोज़ बाद बिना कोई बात बताए रिश्ते से इंकार कर दिया ,

मुंतहा के लिए ये पहली बार थी जब वह रिजेक्ट हुई मगर मां बाप की तसल्ली ने मुंतहा को हौसला दिया और एक बार फिर मुंताहा को देखने के लिए फ़ैमिली अाई,

उन्होंने भी खाने से फारिग होने के बाद मुंताहा के हाथ से चाय पीने की फरमाइश ज़ाहिर की और चाय के बाद इजाज़त चाही , तीन दिन इंतज़ार में रखने के बाद ये कहते हुए इनकार कर दिया के:-" लड़की को मेहमान नवाजी नहीं आती क्यूंकि उसने लड़के की मां को टेबल से उठाकर हाथ में चाय पेश नहीं की बल्कि आम मेहमानों कि तरह टेबल पर रख दी "

इस इनकार पर मुंतहा के साथ साथ इस बार वालिदैन भी अंदर टूट फूट गए मगर अल्लाह की मर्ज़ी समझ कर सब्र कर लिया , फिर एक नई फ़ैमिली अाई,

उस फ़ैमिली कि खवातीन के बैठते ही मुंतहा ने उनके जूते तक अपने हाथ से उतारे वहीं बैठे बैठे हाथ धुलवाए और फिर चाय पेश की,

उस फ़ैमिली ने हफ्ते भर बाद ये कहते हुए इनकार कर दिया के :- बेटी पर जिन्नात का साया है वरना कोई मेज़बान पहली बार घर आए मेहमान की इतनी खिदमात कहां करता है ? "

पिछले आठ सालों में सौ से ज़्यादा लोग रिश्ता देखने आए मगर कोई ना कोई ऐब निकाल कर चले गए कल एक फ़ैमिली अाई उन्होंने मुंतहा को बाक़ी हर लिहाज से ठीक करार दिया मगर ये कहते हुए इनकार कर दिया के मुंतहा की उमर ज़्यादा हो गई है और एहसान जताते हुए कहा के अगर आप ज़्यादा मजबूर हैं तो हमारा एक 38 साला बेटा जिसकी अपनी दुकान है उसके लिए मुंतहा क़ुबूल कर लेते है ,

इतना कहते हुए मुंतहा की मां सिसकियां लेकर रोने लगी और कहा आप भी तो मां हैं सोचें मां जितनी भी मजबूर हो गैरों के सामने कैसे कह सकती है ??

और मेरी बेटी कल सारा दिन मेरे सीने से लगकर रोती रही है कहती रही इन लोगों के मेयार तक आते आते मेरी उमर ज़्यादा हो गई है मां और फिर जाने कब उसने दुनिया को अलविदा कहने का फैसला कर लिया क्यूंकि वह कहती थी :- मेरा मनहूस साया मेरी बहन को भी वालिदेन की दहलीज पर बूढ़ा कर देगा "

मैं (डॉक्टर) ने मुंतहा की वालिदा को पानी पिलाया इतने में उसका वालिद और पीछे वार्ड ब्वॉय दाखिल हुआ , आकर बताया के मुंतहा होश में आ गई है,

मुंतहा की मां बिजली की तेज़ी से वार्ड में पहुंची मुंताहा का सर उठा कर सीने से लगा लिया, मैं (डॉक्टर) और मुंतहा का वालिद एक साथ कमरे में दाखिल हुए मुंतहा मां को छोड़कर बाप के गले लगी और सिसकते हुए कहा :- " पापा बेटियां बोझ होती हैं आपने क्यूं बचाया मुझे ?? मुझे मरने देते मेरा मनहूस साया इस घर से निकलेगा तो गुड़िया की शादी होगी, नहीं तो वह भी आपकी दहलीज पर पड़ी पड़ी बूढ़ी हो जाएगी"

मुंतहा का बाप चुपचाप आंसू बहा रहा था जब मैंने हालात आउट ऑफ कंट्रोल होते देखे तो मुंतहा को सुकून का इंजेक्शन दे दिया और मुंतहा के मां बाप को लेकर ऑफिस में आ गई, मैंने मुंताहा और उसकी छोटी बहन को अपने दोनो भईयों के लिए मांग लिया और मुंतहा के मां बाप की आंखें अचानक बरसने लगी मगर इस बार आंसू खुशी के थे,

मेरे दोनों भाई डॉक्टर हैं मैंने उनको अपना फैसला सुना दिया है और वह इसे क़ुबूल कर चुके हैं ,

आखिर में आप लोगों से गुज़ारिश करती हूं आप शादी लड़की से कर रहें होते हैं हूर से नहीं , खुदारा किसी की बेटी को रिजेक्ट करने से पहले उसकी जगह अपनी बेटी रख कर सोचें, मैं डॉक्टर होने कि हैसियत से कहती हूं अगर ऐब की बिना पर रिजेक्ट करना हो तो लड़कियों से दुगनी तादाद में लड़के रिजेक्ट हों, मुझसे दुनिया के किसी भी फोरम पर कोई भी बन्दा बहस कर ले मैं साबित कर दूंगी,

मर्द में ऐब औरत से ज़्यादा है, मैं गुज़ारिश करती हूं अल्लाह के लिए किसी को बिला वजह ऐब जदा कह कर रिजेक्ट ना करो आप अल्लाह की मखलूक के एबों पर पर्दा डाले, अल्लाह आखिरत में आपके ऐबों पर पर्दा डालेगा ,

आपके निकाले ऐब और इनकार लड़कियों को कब्र में धकेल देते हैं,

मंकूल: डॉक्टर सबा खालिद
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi

Blog: islamicleaks.com