हमारा निज़ाम ए तालीम (Our Education System)
फितरत से जंग करके भला कोई कैसे कामयाब हो सकता है, फितरती तौर पर हर इंसान अपनी मादरी ज़बान में जो अपने खयालात का इजहार कर सकता है वह गैर ज़बान में मुमकिन नहीं, और इसी तरह सीखने और सीखाने के अमल में भी गैर ज़बान बहुत बड़ी रुकावट है,
यही वजह है सिवाए कुछ गुलाम मुमालिक के पूरी दुनिया में उनका निज़ाम ए तालीम उनकी अपनी ज़बान में है, और वह तरक्की की मंज़िल पर चढ़ते जा रहें हैं,
हाई स्कूल का रिज़ल्ट देखा बच्चों ने नंबर 500 में से 498 ले लिए लेकिन हमारा ये फर्सूदा निज़ाम आज तक कोई वैज्ञानिक पैदा नहीं कर सका,
हमारे निज़ाम ए तालीम में फितरी उलूम के जरिए से बच्चों को तालीम देने के बजाए रिवायती रटटा सिस्टम बड़े पैमाने पर चल रहा है लेकिन तखलीक और तहकीक के मैदान में हम दुनिया से बहुत पीछे हैं,
हम काबिल और माहिर डॉक्टर और इंजीनियर तो बना रहें हैं लेकिन ऊंचे दर्जे के साइंटिस्ट पैदा नहीं कर रहें हैं,
साइंसी उलूम के आला रिसर्च और नई इजादात में हिन्दुस्तानी मुसलमानों का कोई काबिल ए ज़िक्र नाम नज़र नहीं आता , यही वजह है के हम मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग वा टेक्नोलॉजी में तरक्की याफ़्ता मुल्कों के बहुत नीचे है,
यूरोप और अमेरिका दवा, मेडिकल आलात और जंगी असलहा के सौदागर हैं और मुस्लिम मुल्क उनके खरीदार हैं, आलमी मार्केट और आलमी मीडिया पर उनका कब्ज़ा है और हम उनको चैलेंज करने के काबिल नहीं,
अहद हाज़िर में वह कौम मुआशी और सियासी तौर पर खुदमुख्तार नहीं हो सकती जो साइंस के उलूम में दूसरे मुल्कों के मोहताज हों, हमारा तालीम ए निज़ाम नाकिस है क्यूंकि वह अहद हाज़िर में हमारी मूआशी ज़रूरीयात और कौमी तक़ाज़ों से हम आहिंग (Campatible) नहीं,
आखिर में... मैं एक मावाज़ ना पेश करना चाहता हूं के 73 साल हो गए हिन्दुस्तान को आज़ाद हुए लेकिन एक साइंसदा पैदा नहीं हुआ, बल्कि जिस मकसद के लिए ये निज़ाम ए तालीम बनाया गया था वह अपना मकसद पूरा कर रहा है, वह क्या है ??
दीन से दूरी, बच्चों को इल्हाद (नास्तिकता) सिखाना, मदरसे और मदरसे वालों से नफरत सिखाना, अंग्रेजों के लिए नौकरों की खेप तैयार करना ,
ये सब काम तो बख़ूबी हो रहें हैं लेकिन ऐतराज़ उलेमा पर करते हैं के मादारिस टेक्नोलॉजी के मैदान में आगे नहीं बड़ सके,
हालांकि ये काम तो उनका था इलज़ाम दूसरों पर लगा रहें हैं,
मदारिस वाले तो अपना काम बखूबी कर रहें हैं, और अल्लाह उन्हें मजीद दीन की खिदमत की तौफीक़ अता फरमाए.. आमीन
साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com