Monday, January 4, 2021

SHIDDAT E GHAM ME NAM AANKHON SE USE PUKAARA JAAYE JO HAR CHEEZ PAR QADIR HAI

 



शिद्दत ए गम में नम आंखों से उसे पुकारा जाए जो हर चीज़ पर कादिर है, तो वह " या अब्दी" कहते हुए फौरन मुहब्बत वा बेकरारी से मुतावज्जोह होता है,


फिर वह उस टूटे हुए दिल में समा जाता है,

हम सोचते हैं आजमाइश का वक्त बहुत लंबा हो गया, मगर वह दरहकीकत मुलाकात का वक्त बड़ा देता है,

अल्लाह को बहुत पसंद है जब हम दुनिया से नहीं बल्कि उससे मांगते हैं, जब हम अपनी बेबसी का रोना दुनिया के सामने नहीं उसके सामने रोते हैं,

जब हम सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद भी उस यकीन के साथ दुआ करते हैं के उसके सिवा कोई हमें कुछ नहीं दे सकता ,

दिल में अल्लाह के साथ का एहसास ज़िंदा हो, तो कंधों पर रखी हुई बेबसी, मायूसी और गमों के सब पहाड़ हल्के हो जाते हैं,

फिर ऐसा लगता है जैसे वह पाक जात हर बोझ को हल्का करने के लिए काफी है,

तहरीर: बहन सबा युसुफजई
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com