Sunday, January 17, 2021

जिन औरतों के चेहरों पर पर्दा नहीं यकीनन उनके दिलों और अकलों पर पर्दा पड़ा हुआ है,




 जिन औरतों के चेहरों पर पर्दा नहीं यकीनन उनके दिलों और अकलों पर पर्दा पड़ा हुआ है,


कुछ बेपर्दा फिरने वाली औरतें ये कहती हैं के क़ुरआन मजीद में चेहरे का पर्दा नहीं है,

उनसे कोई पूछे के जब हिजाब से मुताल्लिक आयत उतरी तो उस वक़्त उम्माहात उल मोमिनीन को क्या छिपाने का हुकम हुआ ??

दिल वा दिमाग़ से सोचें के चेहरा छिपाने का हुकम हुआ या माज़ अल्लाह वह नंगे सर वा नंगे सीना (घर से बाहर) फिरती थीं और उन्हें सर वा सीना छिपाने का हुक्म हुआ ??

साफ जाहिर है के उन्हें चेहरा छुपाने का हुक्म हुआ ,इसीलिए फरमाया गया के,

" ऐ नबी ! अपनी बीवियों और बेटियों से और मुसलमानों कि औरतों से कह दो के वह अपने ऊपर अपनी चादरें लटका लिया करें, इससे बहुत जल्द उनकी सिनाख्त हो जाया करेगी ( के ये पाकदामन औरतें हैं) फिर ना सताई जाएंगी, और अल्लाह ताला बख्शने वाला महरबान है "

(क़ुरआन अल एहजाब आयात 59)

कुछ औरतें पर्दे से मुताल्लिक़ बहस करते हुए कहती हैं के :- पर्दा तो दिल का होता है, हमारी आंखें और दिल पाक हैं"

उन्हें पूछना चाहिए के जिन को खुद अल्लाह नाम ले कर फरमा रहा है (नबी ए अकरम मुहम्मद सल्ल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम की बीवियां, बेटियां और सहाबियात)

साभार: बहन सबा युसुफ जई
ब्लॉग: islamicleaks.com