Monday, January 18, 2021

बनू उमैया की मुलुकियत और उस्मानी खिलाफत ??

 



बनू उमैया की मुलुकियत और उस्मानी खिलाफत ??


वह तमाम हजरात जो नाकद बनू उमैया हैं, क्या उन्होंने कभी खिलाफत बनू उमैया और उस्मानी खिलाफत का तकाबुल किया है ??

अगर आम उर्दू मुवॉरिखीन की लिखी हुई तारीखी किताब से सिर्फ सरसरी तौर पर सिर्फ मूताला भी किया जाए, कदीम वा मुस्तनद तारीखी माखज को तो अभी जाने दीजिए , तो साफ नजर आएगा के क़ुरआन वा सुन्नत के शाआर की ताजीम उनके कवानीन के इंतजाम की पाबंदी और हुकूमत वा अवाम का मजमुई इस्लामी तर्ज़ ए अमल हर लिहाज से दौर बनू उमैया में खिलाफत उस्मानिया के मुकाबले में करोड़ गुना बेहतर था,

उस्मानी खिलाफत की अफ़ादियत और इसलाम के लिए उनकी ख़िदमात से इंकार मुमकिन नहीं लेकिन इस सिलसिले में उनका खिलाफत बनू उमैया से कोई मुकाबला तक नहीं बनता के वह इस्लामी मिजाज़ और इस्लामी कानून के पाबंदी, जिहादी मसाई और खिदमत इस्लाम के सिलसिले में हर आने वाले दौर हुकूमत पर फौकियत रखते हैं,

फिर क्या वजह है के हमारे ये दोस्त वा साथी, खिलाफत बनू उमैया के दरपे आज़ार रहते हैं, उनके खिलाफ हर वही बात वा गैर मुसद्दका मालूमात पर ना सिर्फ बे धड़क ईमान ले आते हैं बल्कि नमक मिर्च लगा कर उसकी इशाअत भी करते हैं,

जबकि यही लोग दौलत ए उस्मानिया की तारीफ वा तौसीफ में ना सिर्फ आगे रहते हैं बल्कि पूरे जोश और जज्बे के साथ उस पर लगने वाले इल्ज़ामात का दिफा भी करते हैं, फिर इस पर तमाशा ये के हमारे ऐसे दोस्त बाप के बाद बेटे की जाननशीनी के तहत दौलत बनू उमैया को तो मुलुकियत साबित करने पर अपना पूरा ज़ोर खर्च करते हैं लेकिन उसकी बाप के बाद बेटे की जाननशीन के तरीके के दौलत उस्मानिया में होने के बावजूद उसकी खिलाफत करार देते हैं और उसकी मुलूकियत के असबात पर एक लफ्ज़ नहीं बोलते जबकि दौलत ए उस्मानिया में तो चाचा भतीजे और भाई भाई तक इकतेदार के लिए एक दूसरे से टकराए हैं,

खैर ! सोचने की बात ये है के इस दो रंगी की वजह क्या है ??

कहीं हमारे तहतुल शाऊर में बैठा शिया प्रोपगंडा तो नहीं जो हर हाल में बनू उमैया को बदनाम करने में ही आफियत वा सुकून महसूस करता है,

एक मुवॉरिख एक गैर जानिब्दार मुसलमान तारीख का मारूजी मुताला करता है, इसको गैर जानिब्दाराना नज़रों से परखता है, मैं दूसरों की बात नहीं करता सिर्फ अपनी बात करूंगा के वहाबी सूफी कशमकश में अक्सर एक फरीक का झुकाव आल ए सऊद की तरफ होता है तो दूसरे का उस्मानी सलातीन की तरफ ,लेकिन काराइन गवाह हैं के मोहतरम हाफ़िज़ मुहम्मद ज़ुबैर ने जब इस तनाजिर में उस्मानी सलातीन को गैर साबित क्यासात के तहत मतून करना चाहा तो अहकर ने ही सबसे अव्वल उनके नकद में और उस्मानी सलातीन के दिफ़ा में फेसबुक पर कलम उठाया था और अब तक इस सिलसिले में लिखता आया है के जब जब किसी ने गैर साबित बातों के संबंध में महज मगरिबी मुस्तरकीन के प्रोपगंडा से मूतासिर होकर खिलाफत उस्मानिया के खिलाफ कोई हफवात नकल की है, लेकिन हमारे बाक़ी अहबाब येे काम क्यूं नहीं करते , आपने अपनी अपनी पार्टियां क्यूं बनाई हुई हैं ??

आप तहरीकी हैं तो क्या ये बात लाज़िम है के आप बनू उमैया पर नकद करें जबकि बनू उमैया से किरदार वा अमल और इस्लामी ख़िदमात में दसियों गुना पीछे रह जाने वाले उस्मानी सलातीन की मुहब्बत वा तायीद का आप दम भरते हैं,

ऐसा ही कुछ हमारे बाज़ वहाबी दोस्त करते हैं के उनको उस्मानी सलातीन में कुछ खैर ही नजर नहीं आता जबकि इनके झंडे तले पूरी उम्मत मुसलमां मुत्ताहिद और कुफ्फार से बरसरे पैकार थी,

खैर तारीख का मूताला गैर जानिब्दारी वा मारूजियत मांगता है, इस सिलसिले में कमसे कम मुझे उन लोगों के नफसियात बिल्कुल भी समझ नहीं आती जो नाकद बनू उमैया बने हैं उनकी तरफ हर औल फौल बात मंसूब करके उनकी तजलील करते हैं और साथ ही उस्मानी सलातीन बाशमूल उर्रुदुगान की अजमत के गीत गाते हैं, कम से कम मेयार तो एक रखें सबके लिए,

तहरीर: मुहम्मद फहद हारिस
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com