जिंदगी की रेस !!
मेडिकल साइंस कहती है सेक्सुअल इंटर कोर्स के बाद किसी भी मेल (नर) के तकरीबन 200 से 500 मिलियन के करीब स्पर्मस (शुक्राणु) निकलते हैं।
इनमें से तकरीबन आधे तो निकलते ही दम तोड़ जाते हैं ,और बाकी के तकरीबन 200 मिलियन सेहतमंद इस स्पर्म्स की अंडाणु या अंडा कोशिका (ovum) की तरफ जिंदगी हासिल करने की रेस शुरू हो जाती है।
बजाहिर कुछ इंच की इस नजर आने वाली रेस में जहां 200 मिलियन सेहतमंद स्पर्म ने हिस्सा लिया था , कुछ फासला तय करने के बाद महज 300 या 500 ही ऐसे रह जाते हैं जो रेस जारी रख पाते हैं, बाकी सब इस ज़िंदगी की रेस के रास्ते में ही दम तोड़ जाते हैं।
और रेस के आखिरी राउंड में उन 300 या 500 में से भी सिर्फ एक शक्तिशाली और फर्टिलाइजद स्पर्म ही ऐसा होता है जो ovum यानी मादाजननकोशिका में दाखिल होने में कामयाब हो जाता है, और वह है आप, जी हां आप...!!!
प्यारे दोस्तों ! क्या आपने कभी गौर फरमाया है कि जब आप उस जिंदगी हासिल करने वाली रेस का हिस्सा थे तब न तो आपके हाथ थे ना पाऊं, न आंखें थी और न ही जिस्म, और सबसे बड़ी बात बगैर किसी की मदद और सहारे के, फिर भी आप उन 200/500 मिलियन में से वह रेस जीत गए थे।
और अब जबकि आपके पास खूबसूरत जिंदगी की सूरत में इस रेस की जीत का सर्टिफिकेट मौजूद है तो अब आप कैसे किसी मैदान में हार मान सकते हो?
माशाअल्लाह अब आप एक सेहतमंद बोडी के मालिक हो, आपको रब ने अक्ल से पुर दिल और दिमाग दिया है, आप के सामने मकसदे हयात है , उस मकसद के पीछे कुछ ख्वाब हैं, उन ख्वाबों को हकीकत में बदलने के लिए आपको ज़िंदगी के आखिरी सांस तक और खून के आखिरी कतरे तक हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए।
Syed Abdul Mujeeb