Monday, January 11, 2021

KARZ KE MUTAALLIK BAHUT AHAM TAHREER

 



कर्ज़ के मुताल्लिक़ बहुत ही अहम तहरीर


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क्या आप जानते हैं इंसान सबसे ज़्यादा ज़लील कब होता है ??

जब इंसान अपनी ज़रूरीयात को पस ए पश्त डालकर कुर्बानी के जज़्बे के तहत किसी को कर्ज़ दे और आपको शख्त ज़रूरत हो और मुकर्रर मुद्दत पूरी होने के बावजूद आपका दिया हुआ कर्ज़ वापस ना लौटाया जाए और उसे धोके से हज़म किया जाए ना की किसी मजबूरी के तहत,

तो उस वक़्त इंसान इंतेहाई जलील होता है, और इंसान की सोचने और समझने की तमाम सलहियतें मफ्लूज़ हो जाती हैं,

हदीस में जहां कर्जदार को मोहलत देने पर बेइंतहा अजर वा सवाब है वहीं किसी का माल नाहक हज़म करने पर शख्त वाईदें अाई हैं,

यहां बयान किए गए वाक्ए का मकसद आपको ये बताना है के आपको खरे और खोटे की पहचान होनी चाहिए , किसी पर अंधा भरोसा नहीं करना चाहिए , और शरीयत ने जो कानून और उसूल हमारी बहतरी के लिए बनाए हैं उनपर अमल करने में हमारी ही भलाई है, उनको नजरंदाज नहीं करना चाहिए,

अपने खून पसीने की कमाई को लालची और धोके बाज़ नाम निहाद दोस्तों पर बर्बाद ना करें,

मेरे एक दोस्त ने मुझ से एक लाख रुपए मांगा, मैंने कहा ठीक है एक लाख दे देता हूं लेकिन पैसा लेते वक़्त दो गवाह होंगे और स्टाम्प पेपर पर लिख कर भी देना होगा ,

उसने कहा :- मुझपर यकीन नहीं है,

मैंने कहा बिल्कुल है:- मगर शरीयत के मुताबिक कानूनी कार्यवाही ज़रूरी है,

वह मुझसे नाराज़ हो गया, मैंने मनाने के लिए उससे कहा के मैं मज़ाक कर रहा था ,हालाकि मैंने मज़ाक नहीं किया था,

खैर मैंने बेगैर काग़ज़ी कारवाई और गवाहों के एक लाख रुपए दे दिया ,

2- दो साल हो गए मेरे दोस्त ने पैसे वापस नहीं किए ,

मैंने मांगे तो कहने लगा मैंने तो वापस कर दिए थे,
मैंने कहा :- झूट बोलते हो , तो गुस्से से कहने लगा के मुझे झूठा समझते हो, कोई गवाह है तुम्हारे पास , कोई सबूत हो तो पेश करो,

मेरे कुछ दोस्त बड़े बदमाश थे वह भी मेरे पास आ गए और कहने लगे के हमें बीस हज़ार खर्चा पानी दो हम तुम्हे उससे पैसे लेकर देते हैं और ये एक नई परेशानी थी,

मै थाने में गया और कहा के मेरे दोस्त ने मुझसे एक लाख लिया था मगर वापस नहीं कर रहा , उन्होंने कहा कोई सबूत या गवाह,

मैंने कहा :- कोई नहीं है,

थानेदार ने कहा :- बैंक में पैसा जमा करवाते हो तो रसीद देते हैं, लेने जाते हैं तो रसीद देते हैं,

सारे मुसलमान ही हैं क्यूं रसीद मांगते और देते हैं,

इसलिए कानूनी कारवाही ज़रूरी है, आप झूटे हो वरना सबूत लाओ,

तंग आकर मैंने भी दो झूठे गवाह तैयार किए और उनके जरिए से थानेदार के पास गया,

उन्होंने तहरीरी तौर पर लिखा के :- फलां दोस्त को इसके पैसे देने है,

फिर गवाही देने वाले दोस्तों कि कई गलत बातें ज़िन्दगी में मुझे मानना पड़ीं,

थानेदार ने कर्ज़ लेने वाले दोस्त को बुलाया , उसने 20 हज़ार थानेदार को दिए और उल्टा मेरे खिलाफ रिपोर्ट करवा दिया,

मेरे पैसे पहले ही फंसे हुए थे, ऊपर से रिपोर्ट होने पर मैंने अपने दोस्त से माफ़ी मांगी और बयान दिया के उसे मेरे कोई पैसे नहीं देने , तब कहीं उसने मुस्कुराते हुए पर्चा वापस लिया,

घर आया तो घरवालों ने अलग परेशान किया के घर के हालात अच्छे नहीं , दोस्त भी ऐसे ही बनाए हुए हैं, एक गलत फैसले ने बहुत जलील करवाया,

ये दुनिया है और अल्लाह ताला ने इसमें ज़िन्दगी गुजारने के उसूल भी अता फरमाएं हैं,

उन उसूलों को नज़र अंदाज़ करके अपनी मर्ज़ी से मामलात तय करने पर जो नुक़सानात होंगे उसके ज़िम्मेदार हम खुद ही होंगे ,

और आज के पुर फितन दौर में किसी पर भरोसा और यकीन करना बड़ा मुश्किल काम है,

निकाह करते वक़्त गवाह तो होते थे मगर लोग फिर भी मुकर जाते थे,

इसलिए हुकूमत ने निकाह फॉर्म मुताआरिफ करवाया ताकि अवाम झूट ना बोले ,

अब तलाक देकर भी लोग मुकर जाते हैं और कहते हैं कि नहीं दी,

ये कहानी बहुत से लोगों की है, गवाह और तहरीरी दस्तावेज़ बनाने से वही डरेंगे जो गलत काम करते हैं,

या मुझ जैसे जाहिल को सब्ज़ बाग दिखा कर लूटना चाहते हैं,

क़ुरआन में है

" ऐ ईमान वालों! जब तुम लेन देन का कोई मामला किया करो तो उसको लिख लिया करो और दो गवाह भी बना लिया करो,"

(अल बकराह)

बहन भईयों में विरासत का मसला हो , किसी को कर्ज़ देना हो, किसी को मकान किराए कर देना हो, या जिस मामले में पैसों का मामला हो, गवाह और लिखत बहुत ज़रूरी है,

आजमाइश फिर भी हो सकती है मगर हमने क़ुरआन वा हदीस पर ही चलना है ताकि अल्लाह ताला के हुज़ूर अजर पाएं और दुनिया में भी मुश्किलात से बच सकें

वरना
ये जब्र भी देखा है तारिख की नजरों ने
लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई,

अल्लाह ताला हमें दीन समझने और अमल करने की तौफीक़ अता फरमाए,

आमीन

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks