Saturday, January 9, 2021

DASTAK DENA HAR MARD KI FITRAT HAI

 



दस्तक देना हर मर्द की फितरत है

और दरवाजा ना खोलना औरत का हुस्न।

हर दस्तक पर दरवाज़ा कभी नहीं खोलना , ना दिल का दरवाज़ा ना दिमाग़ का दरवाज़ा , ना सोचों का दरवाज़ा, ना जज़्बात का दरवाज़ा , येे दरवाज़ा ज़िन्दगी के असल साथी कि आमद पर ही खुलना चाहिए ,

उम्मत ए मुहम्मदीया सल्लाल्लहू अलैहि वसल्लम की हर बेटियों के नाम एक पैगाम,

सुनो !!

मेरी बहनों !!

कभी भी किसी अजनबी को अपना जाती वक़्त ना देना, एक वक़्त आएगा वह आपके किरदार पर उंगली उठाएगा आपको ज़हनी टेंशन देगा , तो फाइनल बात ये है के एक के साथ एक लिमिट में राब्ता रखें इससे आप खुद भी महफूज़ रहोगी और आपका ज़हनी सुकून भी,

किसी को पसंद करना एक फित्री अमल है मगर !!
इस जज्बे का गलत इस्तेमाल कभी मत कीजिए ,

सीधा रास्ता और निकाह का जायज और पाक रास्ता बनाए ,और अगर आप समझें के आपके घर बिरादरी फिर्के वाले इस रिश्ते के हक़ में नहीं, और येे रिश्ता आगे नहीं बड़ सकेगा , तो बाद के दुख वा तकलीफ से बचने के लिए इस बात को वहीं खतम कर दीजिए , ख़ास तौर पर लड़कियों को ये बात जान लेनी चाहिए ,

जवानी के जोश में मर्दों को हर औरत या लड़की अच्छी लगती है और औरत को हर मर्द की मुहब्बत सच्ची लगती है, औरत का बस देख लेना भी मर्द को अदा लगती है, और मर्द की ज़रा सी हमदर्दी औरत को ऐतराफ ए मुहब्बत नज़र आती है, येे उमर इस तरह की बेवकूफियों की होती है और दिल को ख्वाब देखना अच्छा लगता है,

तो होता यूं है के ज़रा सा ख्याल भी किसी का आ जाए तो हमें लगता है के हमें मुहब्बत हो गई है या किसी की कोई बात हमें पसंद आ जाए तो हमें लगता है के इसको हमसे मुहब्बत हो गई है, और फिर ज़िन्दगी के बहुत बड़े फैसलों पर हम जल्दबाजी कर देते हैं, इस तरह की मुहब्बत तो होती रहती हैं,

किसी के भरोसे के साथ मत खेलें और वाकई मुहब्बत है तो निकाह करें, क्यूंकि मुहब्बत को इज्जत लाज़िम है, बाक़ी जिस्मानी ख्वाहिशात को मुहब्बत का नाम ना दें,

मर्द जिस औरत को सच्चे दिल से चाहता है उसे अपनी इज़्ज़त मानता है और बनाता है, सबसे छिपा कर रखता है, उस पर किसी दूसरे की नजर नहीं पड़ने देना चाहता , और अगर वह ऐसा नहीं करता तो इसका मतलब ये है के वह औरत उसके दिल में नहीं उतरी, सिर्फ दिखावे की चीज है जो दोस्तों में खुद को अहमियत बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाती है के,

मेरे पास भी दिल बहलाने के लिए एक अच्छी चीज है, इससे सिर्फ मफाद और गरज़ का रिश्ता होता है, इज़्ज़त का नहीं !!

अल्लाह पाक से दुआ है के अल्लाह हर बेटी की, हर बहन की इज़्ज़त की हिफाज़त फरमाए, और अपना मकाम समझने की तौफीक़ अता फरमाए,

ये बात नादान कमअक्ल बेवकूफ लडकियों को समझनी चाहिए , मर्द हमेशा उसी लड़की से मुहब्बत करता है और इज्ज़त देता है जो उसको हलाल रिश्ते में मिलती है यानी निकाह में महरम बनकर ,

और ऐसी लड़की जो नमहराम के लिए सजती है संवरती है वह अपनी वुसत भी खतम करती है, अपनी शर्म वा हया का सौदा करती है, और बड़े अफसोस के साथ जिसके लिए येे करती है वहीं कल टाइम पास करने के बाद , उसको सबके सामने बद किरदार, आवारा, और बद चलन कह कर चला जाता है एक नया शिकार ढूंडने के लिए,

और लड़की का किरदार सब के लिए सवालिया निशान बना कर खुद अपनी ज़िन्दगी में मगन हो जाता है, और लड़की के पास कुछ भी नहीं बचता !

मेरी प्यारी बहनों इस फरेब और ख्वाबों से बाहर आ जाओ ना महरम मर्द ना कभी दोस्त हो सकता है, ना भाई , ना मुहाफिज ना मुहब्बत !!

मुहब्बत की मंज़िल निकाह है जिना नहीं, शौहर ही औरत का असल मुहाफिज होता है, औरत से सच्ची मुहब्बत उसका शौहर ही कर सकता है, कोई ना महरम नहीं !!!

अल्लाह ने हमें ना महरम से फिजूल बात करने , नरम लहज़े में बात करने से मना किया के खराबी पैदा ना हो, क्यूंकि ये खराबी बहुत नुकसान से दो चार करती है,

क़ुरआन में अल्लाह ताला का इरशाद है:-

يَا نِسَآءَ النَّبِيِّ لَسْتُنَّ كَاَحَدٍ مِّنَ النِّسَآءِ ۚ اِنِ اتَّقَيْتُنَّ فَلَا تَخْضَعْنَ بِالْقَوْلِ فَيَطْمَعَ الَّـذِىْ فِىْ قَلْبِهٖ مَرَضٌ وَّّقُلْنَ قَوْلًا مَّعْرُوْفًا
(32) سورۃ الاحزاب
(مدنی، آیات 73)

तो मेरी प्यारी बहनों हराम रिश्तों में मुहब्बत मत ढूंढो इसमें लज्जत हो सकती है, पर सुकून नहीं, इज्जत नहीं, सबसे बड़ी बात अल्लाह की रजा नहीं, नाराज़गी और ग़ज़ब होगा और जिल्लत अलग

इसलिए अपने जज़्बात अपने महरम के लिए बचा कर रखें, जिसमें ना जिल्लत का डर हो, ना रुसवाई का , ना अल्लाह के ग़ज़ब और नाराज़गी का ,

अल्लाह हमसे बेपनाह मुहब्बत करता है इसलिए उसने हमें हलाल चीजें और हलाल रिश्ते दिए हैं, और हराम चीजों से बचने को कहा है,

हुदूद अल्लाह मत तोड़ें और खुद को बचाएं हराम कामों और चीज़ों और हराम रिश्तों से ...!!!

अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से दुआ है, उम्मत मुहम्मदिया की बेटियों और बेटों को पाकदामन और हराम रिश्तों हराम चीज़ों से दूर रखे,

आमीन सुम्मा आमीन

साभार : बहन शीजा सलफी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: islamicleaks.com