Tuesday, January 19, 2021

SCIENCE AUR TECHNOLOGY




 साइंस और टेक्नोलॉजी


क्या आप जानते हैं बारिश से पहले ही चीटियों को कैसे पता चल जाता है के बारिश होने वाली है ??

आज हम आपको चीटियों के बारे में ऐसे ही कुछ हकीकत के बारे में बताएंगे,

चीटियों से मुताॅलिक सुरह नमल आयत 17-18 में अल्लाह का इरशाद है:-

" और सुलेमान निकले अपने पूरे लश्कर को लेकर जिसमें इंसान, जिन्न और तमाम जानवर थे, फौज बंदी किए हुए जाने लगे यहां तक के वो गुज़रे वादी ए नमल से जो चीटियों की वादी थी, एक चीटी ने दूसरी चीटी से कहा , ए चीटियों अपने घरों में घुस जाओ, कहीं तुम्हे सुलेमान और उसकी फौजें ना पीस डालें , और उन्हें खबर भी ना हो , और सुलेमान ने जब इन चीटियों की बात सुनी तो मुस्कुराए और अपने लश्कर का रुख मोड़ लिया "

चीटियां हज़रत सुलेमान से बात करती थी और हज़रत सुलेमान को अल्लाह ने उनकी बात समझने की सलाहियत भी दी थी, जो बात कुरआन ने 1400 साल पहले बताई आज की जदीद साइंस मुख्तलिफ तजुर्बात करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है के चीटियां एक ज़बरदस्त मुआशी सिस्टम में रहती हैं और इतने मुश्किल सिस्टम से बात करती है के अक्ल दंग रह जाए,

साइंस ने बताया के चीटियां आवाज़ से बात नहीं करती बल्कि डेटा ट्रांसफर करके बात करती हैं और इनका तरीक़ा ये होता है के वह अपने मुंह से एक मवाद निकालती हैं और सामने वाली चीटी के मुंह पर चिपका देती है, दूसरी चीटी इससे सारा पैगाम डीकॉड (Decode) करके समझ लेती है, इसलिए आपने अक्सर देखा होगा के चीटियां चलते चलते रुक कर दूसरी चीतियों के मुंह से मुंह लगा कर आगे चलती जाती हैं, येे वह अमल होता है जिसमें वा डेटा ट्रांसफर करती हैं,

जदीद तहकीक में ये बात साबित हो चुकी है के चीटियां आपस में ना सिर्फ बात करती हैं बल्कि एक ज़बरदस्त निज़ाम के तहत ज़िन्दगी भी गुजारती हैं,

आपने अक्सर देखा होगा के बारिश से पहले चीटियां अपने घर के बाहर गोल चक्कर लगाना शुरू कर देती हैं और मिट्टी के पहाड़ बना लेती हैं ताकि बारिश का पानी उनके घर ना आ सके , उन्हें वक़्त से पहले बारिश का अंदाज़ा इसलिए हो जाता है के उनमें कुदरती तौर पर सेंसर मौजूद होता है जिसे हाइड्रो फोलिक कहते हैं, जब हवा में नमी का तनासब ज़्यादा हो जाता है तो चीटियों में मौजूद ये सेंसर उसे महसूस करता है और चीटियों के दिमाग़ को बारिश के मुतल्लिक पैगाम पहुंचाता है, इसलिए चीटियां बारिश से पहले ही अपने खाने पीने और रहने का इंतजाम कर लेती हैं,

महकमा मौसम भी इसी अमल को दोहराते हुए हवा में नमी का तनासब नोट करते हैं और फिर बताते हैं के बारिश के क्या इमकानात हैं,

तारीख़ गवाह है के जिन्होंने क़ुरआन में गौर वा फिक्र किया उन लोगों ने दरखतों के नीचे बैठ कर ना सिर्फ ज़मीन का हजम (Volume) बताया बल्कि ये भी बताया के इंसान परिंदों की तरह कैसे परवाज़ कर सकते हैं,

चुनानचे जहाज़ के सबसे पहले आविष्कारक मुसलमान ही हैं,

अगर हम गौर और फिक्र करें तो ऐसी इजादात कर सकते हैं के नसल इंसानी हैरान रह जाए, अल्लाह ताला ने क़ुरआन में इरशाद फरमाया है के

" कायनात में अक्ल वालों के लिए बहुत सी निशानियां हैं "

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com