Sunday, November 22, 2020

तकदीर पर अल्लामा इक़बाल का नजरिया

 तकदीर पर अल्लामा इक़बाल का नजरिया

अह्काम ए इलाही
पाबंदी, तकदीर के पाबंद ए अहकाम ??
ये मसला मुश्किल नहीं, ए मर्द ए खुर्दमन्द
एक आन में सौ बार बदल जाती है तकदीर,
है उसका मुकल्लिद नाखुश अभी खुर्दसंद
तकदीर के पाबंद नबातात वा जमादात
मोमिन फक्त एहकम इलाही का है पाबंद
(अल्लामा इकबाल)
अल्लामा इक़बाल के नजदीक कायनात की हर चीज तकदीर की पाबंद हैं
मगर अल्लाह ताला ने इंसान को अह्काम का पाबंद किया है, और अमल करने में आज़ादी दी है, और उसमे खैर वा शर के रास्ते बता दिए हैं, अब इंसान अल्लाह के अह्काम पूरे ना करे जैसे नमाज़, रोज़ा , जकात वगेरह और अपनी तकदीर के भरोसे बैठा रहे, ऐसा करना भी सही नहीं है
जैसे कि इंसान को तकदीर पर भरोसा करके बैठे नहीं रहना चाहिए, बल्कि अल्लाह के अह्काम को पूरा करते रहना चाहिए जैसा कि अल्लाह का फरमान है
اِنَّا ہَدَیۡنٰہُ السَّبِیۡلَ اِمَّا شَاکِرًا وَّ اِمَّا کَفُوۡرًا
तर्जुमा : " हमने उसे रास्ता दिखाया के वो या तो शुक्र गुज़ार हो, या ना शुक्रा बन जाए"
(कुरआन अल इंसान आयत 3)
साभार: Umair Salafi Al Hindi