सय्येदना हज़रत मुआविया बिन अबू सूफियान रजियलाहू अन्हू ने अपने वक़्त में रूमी सल्तनत के मुकाबले तीन गुना बड़े हिस्से पर हुकूमत की,
आपकी हुकूमत में उस वक़्त मालूम दुनिया की 30% आबादी रहती थी, 16 मिलियन मुरब्बे किलो मीटर पर हुकूमत फैली हुई थी, सारी दुनिया उस वक़्त इस्लामी सल्तनत से खौफ खाती थी, सिर्फ 90 साल के अंदर बनू उमय्या ने इस्लामी खिलाफत का रकबा जिस तरह फैलाया बाद में इतना कोई नहीं फैला सका, उस वक़्त सिर्फ तौहीद का झंडा लहराया गया,
इस्लामी तहज़ीब वा तमद्दुन को एशिया वा अफ्रीका में फैला दिया, उस वक़्त फतेहीन और सिपाह सलार सब या तो सहाबा होते थे या ताबईन या तबा ताबईन, बनू उमैय्या का दौर खैरुल कुरून का सुनहरा दौर है, उस वक़्त ना कोई बीदात वा खुराफात का झमेला था ना जामिद तकलीद के बर्ग वा बार ने अपने मनहूस साए में मुसलमानों को गिरफ्त किया था, उस वक़्त सिर्फ तौहीद ए खालिस और जिहाद इस्लामी था,
अब आप समझ गए होंगे उस दौर पर सब से ज़्यादा तान वा तशनी और सितम के तीर क्यूं बरसाए जाते हैं ??
करोड़ों सलाम हों सय्येदना हज़रत मुआविया बिन अबू सूफियान रजियलाहू अन्हू, आपकी औलाद पर, आपके मुखलिस रिश्तेदार अहले बैत पर, तमाम सहाबा वा ताबईन पर और खैरूल कूरून के सच्चे मुसलमानों का दीफा करने वालों पर
साभार: मौलाना अजमल मंजूर मदनी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
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