यजीदी कौन ?? (किस्त 1+2)
तहरीर ज़रा लम्बी है लेकिन पूरी पढ़ लीजिए , ये दरसअल मौलाना अताउल्लाह अल मुहसिन शाह बुखारी देवबंदी का खिताब है, मौसूफ अहले हदीस नहीं थे लेकिन ये तहरीर पढ़ें, क्या जानदार और शानदार खिताब था,
यजीद कौन ??
दलील के साथ इख्तेलाफ़ करेंगे ??
सय्येदना हुसैन (ra) के हादसे शहादत के जमन में हमारे मौकफ के मुतअल्लिक़ ये मशहूर किया जाता है कि ये तो यजीदी हैं, हत्ता के पाकिस्तान के एक ज़िद्दी मोलवी ने हमें यजीदी लिख भी दिया,
किसी के लिखने से क्या होता है ?? भाई यजीदी तो दरअसल वह है जिसने यजीद की बय्यत की, और बय्यत की सय्यदना हजरत हुसैन के भाई ( मुहम्मद बिन अली उर्फ मुहम्मद बिन हंफिया) ने, ये रिवायत मजबूत सनद के साथ तारीख में मौजूद है और इस मौलवी को नज़र नहीं आता जो हमें बतौर गाली यजीदी कहा जाता है,
अहद यजीद के जिन मारूफ सहाबा ने बगैर जब्र वा जबरदस्ती यजीद की बैयत की उनमें जनाब हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर, जनाब अब्दुल्लाह बिन अब्बास और सय्यदन हजरत नोमान बिन बशीर शामिल हैं, यजीदी ये हुए के मैं ??
हमनें ना तो यजीद की बायत की , ना उसका ज़माना पाया, ना उसके अमाल देखे, ना उसके अहवाल देखे, हमने तो तारीख लिखी हुई एक बात सुनाई, और जाहिल मौलवी के मुंह खुल गए के सहाबा यजीदी हैं, ये यजीदी हैं,
अब हमको बताओ यजीद की बायत हमने कि के हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर ने ?? अबदुल्लाह बिन अब्बास ने , सय्यदना हजरत हुसैन के भाईयों ने ?? हज़रत अकील के बेटों ने ? हज़रत जाफर तैय्यार के बेटे ने ? सय्यदना हुसैन के बहनोई ने ??
हमारा क्या कसूर है ??
ये बताना जुर्म है तो हम ये जुर्म करते रहेंगे , और ना ही ऐसा जुर्म है के उसके बताने से हम रुक जाएं, रुक नहीं सकते, ये काफिला बढ़ेगा, बहुत दूर तक जायेगा, और वो तुम्हारा दाम तज्वीर और ये लखनऊ मुल्तान के बदमाशों की बदमाशियां हम खतम करके दम लेंगे इंशाल्लाह,
हमारे बुजुर्गों ने हमें इसी रास्ते पर चलाया है, सही रास्ते पर चलाया है, इस्तेकामत अता फरमाई है, तुम्हारे जबर वा ज़ुल्म का हमें कोई डर है ना तुम्हारे पैसों की कोई लालच हमारा कोई ताल्लुक नहीं है इससे , इस बात से ताल्लुक है के बात कब पहुंचीं है ?? किसको पहुंची है ??और किस तरह पहुंचीं है ?? कौन पहुंचाता है ?? किस तरह पहुंचाता है??
तुम हमें यजीदी कहो, यहां हमारे सामने आकर कहो, हम तुम्हें आकर बताएंगे कि यजीदी कौन है ??
हजरत हुसैन राजियाल्लाहु ताला अनहु ने सफर कर्बला में 7 मर्तबा कहा के मैं यजीद के हाथ पर हाथ रखता हूं, मेरा रास्ता खाली करो मैं जाता हूं,
बताओ यजीदी कौन हुआ ??
तुमने कहा प्रोपगंडा किया गया है के... इस्लाम डूबा जा रहा था, हुज़ूर मुहम्मद सल्ल्लालाहू अलैहि वसल्लम की सुन्नतें मिटती जा रही थी, दीन मिटता जा रहा था , लोग बदमाश हो गए थे, हुक्मरान ने ईरानियों जैसा काम शुरू कर रखा था , कहां है ये और किस मोतबर रिवायत में है ?
तुम्हारी इस गुफ्तुगु के जवाब में सय्यदना हज़रत हुसैन के भाई सय्यदना मुहम्मद बिन अली की बात वजनी है, अकेला आदमी तुम्हारी अमित खबीसा का मुकाबले में काफी है, तुम्हारे लिए तो आसान है सबका इनकार करना , सबको यजीदी कह देना, उनको भी कहो वह फरमाते है:-
اقمت عندہ خمس سنوات
मैं याजीद के पास पांच साल रहा हूं
و جدتہ مواظبا علی الصلواۃ
मैंने उसको नमाजों का पाबंद पाया
قائما بالسنۃ
सुन्नत को कायम करने वाला पाया
عالما بالفقہ
मैंने उसको फकीह पाया
ये इबारत अल बदया वन निहाया में मौजूद है, उसको पढ़ो, बार बार पढ़ो ताकि तुम्हारा ईमान दुरुस्त हो, तुम्हारा दिमाग़ दुरुस्त हो, और तुम्हारी ज़बान दुरुस्त हो जो बिगड़ चुकी है
अपना कीब्ला दुरुस्त करो और मुहम्मद बिन अली की बात पढ़ो, ये जितने मौलवी हैं चकवाल के , रावलपिंडी के मुल्तान के , कराची के इधर उधर के ये जितने घूमने वाले लट्टू हैं उनको रस्सी बांधों, फिर चलाओ उनको देखो सही चलें, ये बात तारीख की है अकीदे की नहीं, वाकया हुआ है तारिख का , तुमने उसको अकीदा में शामिल कर लिया है, फिर उसकी हिमायत में दूर अजकार कहानियां कहां से खींच लाते हो, तुम नहीं सुनना चाहते , ना मानना चाहते हो, एक लम्हे के लिए भी नहीं,
जनाब मुहम्मद बिन हन्फिया के मूताल्लिक ,जनाब सय्यदना अली ने सय्यदना हसन वा हुसैन को वसीयत की थी के उनका ध्यान रखना, ये भी उसी अल बीदाया वान निहाया में हैं, और ये भी अल बिदाया वन निहआया में है के यजीद ने हज़रत अबू अय्यूब अंसारी का जनाजा पढ़ाया,
हुज़ूर मुहम्मद (sws) ने फरमाया अपनी ऊंटनी के मुताल्लिक
ھی ما مورۃ
ये मेरी ऊंटनी अल्लाह की तरफ से मामूर है, इसको छोड़ दो, जहां अल्लाह का हुकम होगा वहां ये बैठेगी, और ये जनाब सैय्यदना हज़रत अबू अय्यूब अंसारी मेज़बान ए रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) के मकान पर बैठी,
हज़रत अबू अय्यूब अंसारी कुस्तुनतुनिया पर हमले के गज़वा में गए , बीमार पड़ गए , और मौत ने आन लिया उन्होंने वसीयत की के याजीद मेरा जनाजा पढ़ाए,
ये मैंने तो वसीयत नहीं की ये " मौलवी साहब" को दिखाई नहीं देता और ये भी उसी अल बिदाया वन निहाया में लिखा है के जनाब सैय्यदना हुसैन रजियलाह ताला अनहू यजीदी फौज में थे कुस्तुनतुनिया पर हमले के वक़्त
देखो पढ़ो, हम भी पढ़ते हैं तुम भी पढ़ो, या हमसे पढ़ो, हमसे सीखो, ये अक्ल का दौर है , शाऊर का दौर है, शाऊर को जगाना हमारा काम है, हम शाऊर को ज़िंदा करेंगे , हम तुम्हे बताएंगे की तारीख में लिखा क्या है, तुम्हारी झूठी तदलीस पारा पारा करेंगे
सैय्यदना हुसैन रजियलाह ताला अनहू ने कर्बला में 9 तारीख को आखिरी मर्तबा ये बात कहीं मैं सीधा शाम जाता हूं यजीद से गुफ्तुगू करता हूं
’’ان اضع یدی علی ید یزید فھو ابی عمی‘‘
"मैं अपना हाथ यजीद के हाथ पर रखता हूं वह मेरे चाचा का बेटा है "
ये मैंने तो नहीं कहा, मैंने तो बताया है, बताने और कहने में बड़ा फर्क है, शिया का गुरु साजिद नकवी का चाचा गुलाब शाह पास बैठा है, इस गुलाब देवी अस्पताल के इंचार्ज के पास जाओ उससे पूछो के ये तारीख में है या नहीं तुम इसका इनकार कर सकते हो ???
तुम नाम निहाद अहले हक बनते हो, हक एलाट करा चुके हो अपने नाम का ?? तुम्हे डंके कि चोट पर कहता हूं छुपके नहीं कहता, तारीख में लिखा है और शिया सुन्नी दोनो में लिखा है, कब्रों को झप्पियां डालने वाले और घोड़ों के नीचे से गुजरने वाले मौलवी और उनके हवारी सामने आएं और जुरात से बात करें, वह अपने गले की गिराय्यां घुमाएं और बताएं के ये बात तारीख में है या नहीं, और जनाब दिल पर हाथ रखकर सुनिए जनाब सय्यादना हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर ने सय्यादना अबदुल्लाह बिन ज़ुबैर और सय्यादना हजरत हुसैन को फरमाया:
قال اتقیا اللہ
"दोनो अल्लाह से डरो"
ولا تفرقا بین جماعۃ المسلمین
" और मुसलमानों कि जमात में फूट मत डालो"
ये किसने कहा ?? हजरत अबदुल्लाह बिन उमर ने किसको कहा ?? हजरत अबदुल्लाह बिन ज़ुबैर को और हजरत हुसैन बिन अली को, ये बात उमर का बेटा ही कह सकता है ये उन्हीं की जुर्रत बसालत है,
मैं तो तीनो का गुलाम हूं मैं तो उनकी बारगाह का कफ्स बरदार हूं, मेरी तो कोई हैसियत नहीं,हैसियत तो है हजरत अबदुल्लाह बिन उमर की जिनको शेख उल सहाबा और फाकीह उल सहाबा कहा गया,
जनाब सय्यदना हुसैन राजियाल्लाहू ताला अनहु को उम्मत ने एजाजन सहाबी माना है सहाबा के दरजात में आपका वह मकाम नहीं है जो सय्यदना हजरत अबदुल्लाह बिन उमर का है हिम्मत है तो सय्यदना अबदुल्लाह बिन उमर को गाली दो, क्योंकि बड़े यजीदी तो वही हैं,
और बाद में हमें भी दे लो...... मंजूर है !!!
जारी.... तीसरी किस्त का इंतजार करें
तहरीर: मौलाना अताउल्लाह मोहसिन शाह बुखारी देवबंदी
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: islamicleaks