Wednesday, November 25, 2020

मुहर्रम उल हराम का महीना और शहादत ए हजरत हुसैन राजियल्लाहु ताला अन्हु से क्या ताल्लुक इस महीने का ??

 



मुहर्रम उल हराम का महीना और शहादत ए हजरत हुसैन राजियल्लाहु ताला अन्हु से क्या ताल्लुक इस महीने का ??

मुहर्रम उल हराम - इस्लामी हिजरी की शुरुआत
माह ए मुहर्रम इस्लामी हिजरी का पहला महीना है जिसकी बुनियाद नबी ए अकरम मुहम्मद (sws) की हिजरत के वाक्ए पर है,
लेकिन इस इस्लाम सन हिजरी की शुरुआत 17 हिजरी में हज़रत उमर फारूख के दौर में हुआ,
बयान किया जाता है कि हजरत अबू मूसा अशरी यमन के गवर्नर थे उनके पास हजरत उमर के फरमान आते थे जिन पर तारीख नहीं होती थी, 17 हिजरी में हज़रत अबू मूसा के ध्यान दिलाने पर हजरत उमर ने सहाबा को अपने यहां जमा किया और उनके सामने यह मसला रखा, आपसी मशवरे के बाद यह तय पाया गया कि अपने सन तारीख की बुनियाद हिजरत के वाक्ए को बनाया जाए और इसकी शुरुआत मोहर्रम के महीने में किया जाए क्योंकि 11 नुबुव्वत के जुल हिज्जा के बिल्कुल आखिर में मदीना मुनव्वरा की तरफ हिजरत हुई और उसके बाद जो चांद हुआ वह मोहर्रम का था
(फथ उल बारी )
मुसलमानों का यह इस्लामी सन भी अपने मायने की ऐतबार से बड़ी अहमियत रखता है,
दुनिया के मजहबों में इस वक्त जितने साल मशहूर हैं वह आम तौर पर या तो किसी मशहूर इंसान की पैदाइश की याद दिलाते हैं या किसी कौमी खुशी की याद से जु़ड़े हैं जिससे नस्ल ए इंसानी को कोई फायदा नहीं,
जैसे मसीही साल की बुनियाद हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश है, यहूदी साल फलस्तीन पर हज़रत सुलेमान अलैहिस्सलाम की तख्त नशीन के वाक्ए से जुड़ा है, विक्रमी साल राजा विक्रमादित्य की पैदाइश की यादगार है, रूमी साल सिकंदर की पैदाइश से ताल्लुक रखता है,
लेकिन इस्लामी साल हिजरी नुबुव्वत दौर कि ऐसे वाकए से जुड़ा है जिसमे यह इल्म छुपा हैं कि अगर मुसलमान सच के ऐलान के नतीजे में हर तरफ से परेशानी में घिर जाएं, बस्ती के तमाम लोग उसके दुश्मन हो जाएं, करीबी रिश्तेदार और दोस्त भी उसको खतम करने का इरादा कर लें, उसके दोस्त भी इसी तरह तकलीफ का शिकार कर दिए जाएं, शहर के तमाम बड़े लोग उसे कतल करने की योजना बना लें, उसकी जिंदगी तंग कर दी जाए तो उस वक्त मुसलमान क्या करें ??
उसका हल इस्लाम ने यह नहीं बताया कि कुफ्र वा झूट के साथ समझौता कर लिया जाए, दीन के प्रचार में समझौता कर लिया जाए और अपने अकायेद वा नज़रिया में लचक पैदा करके उनमें घुल मिल जाएं ताकि दुश्मनों का जोर टूट जाए,
बल्कि इस्लाम ने इसका हल ये निकाला है कि ऐसी बस्ती और शहर पर बात पूरी करके वहां से हिजरत की जाए,
उसी हिजरत ए नब्वी के वाक्ए पर हिजरी साल की बुनियाद रखी गई है जो ना शान ओ शौकत की किसी वाक्ए की, बल्कि यह हिजरत के महान वाक्ए मजलूमी और बेकसी की एक ऐसी यादगार है कि जो हिम्मत ना हारना और अल्लाह के राज़ी होने की एक बड़ी भारी मिसाल अपने अंदर रखती है,
यह हिजरत का वाकया बतलाती है कि एक मजलूम वा बेकस इंसान किस तरह अपने मिशन में कामयाबी हासिल कर सकता है और मुसीबत से निकल कर किस तरह कामयाबी वा शादमानी का शानदार ताज अपने सर पर रखता है और गुमनामी से निकल कर ऊंचा दर्जा वा मशहूरियत और इज़्जत वा महानता के ऊंचे रुतबे पर पहुंच सकता है,
इसके इलावा यह महीना हुरमत वाला है और इस महीने में नवाफिल रोज़े अल्लाह को बहुत पसन्द हैं जैसा कि हदीस ए नबावी में मौजूद है,
यह भी ध्यान रहे कि इस महीने की हुरमत का सय्यदना हज़रत हुसैन राजियल्लाह की शहादत से कोई ताल्लुक नहीं है,
अक्सर लोग समझते हैं कि यह महीना इसलिए हुरमत वाला है कि इसमें हज़रत हुसैन राजियल्लाह की शहादत हुई थी यह सोचना भी बिल्कुल गलत है,
यह शहादत का वाकया तो नबी ए अकरम मुहम्मद (sws) की वफात से 50 साल बाद पेश आया और मुकम्मल दीन तो नबी ए अकरम मुहम्मद (sws) की ज़िन्दगी में ही पूरा हो गया, जैसा कि सुरा मायदा आयत 3 में मौजूद है,
इसलिए मुहर्रम उल हराम की हुरमत को शहादत ए हुसैन से जोड़ना इस कुरआनी आयत के खिलाफ है फिर खुद इसी महीने में इससे बड़कर एक और शहादत का वाकया पेश आया था यानी हज़रत उमर बिन खत्ताब की शहादत का वाकया,
अगर बाद में होने वाले वाली इन शहादतों की शरई कोई हैसियत होती तो हज़रत उमर की शहादत इस ऐतबार से थी के अहले इस्लाम इसका भरोसा करते,
हज़रत उस्मान की शहादत ऐसी थी कि उसकी यादगार मनायी जाती और इन शहादतों की बिना पर अगर इस्लाम में मातम वा सोग की इजाज़त होती तो बेशक ही तारीख ए इस्लाम की ये दोनो शहादतें ऐसी थी के मुसलमान इन पर जितना भी सोग या मलाल ज़ाहिर करते और मातम वा रोना धोना करते , कम होता,
लेकिन एक तो इस्लाम में इस मातम वा रोना धोना की इजाज़त नहीं , दूसरी ये सारे वाक्ए दीन मुकम्मल होने के बाद पेश आएं हैं, इसलिए उनकी याद में रोना वा मातमी मजलिस करना दीन में नया काम है जिसके हम किसी हाल में पाबंद नहीं,
साभार: Umair Salafi Al Hindi