Saturday, November 28, 2020

एक टीचर कहती हैं !!!

 



एक टीचर कहती हैं !!!
मैंने के तालिबात की एक टीम को साल के आखिर में एक प्रोग्राम में उनको माओं के सामने एक नज्म पेश करने के लिए ट्रेनेड किया , तैयारी और रिहर्सल के मुख्तलिफ मराहिल के बाद आखिर प्रोग्राम का दिन आ गया,
नज़्म शुरू हुई, मगर उनकी इस खूबसूरत परफॉरमेंस पर उस वक़्त पानी फिर गया जब एक बच्ची अपनी सहेलियों के साथ नज़्म पढ़ रही थी अचानक अपने हाथ, जिस्म और उंगलियों को हरकत देने लगी और अपना मुंह किसी कार्टून के कैरेक्टर की तरह बनाने लगी,
उसकी इस अजीब वा गरीब हरकत की वजह से दूसरी तमाम बच्चियां परेशान हो गईं,
टीचर कहती है :
मेरा जी चाहा के मैं जाकर उस बच्ची को डांट पिलाऊं और उसे तंबिया करूं के वो डिसिप्लिन और संजीदगी का मुजाहिरा करे, मुझे उस पर इतना गुस्सा आया के करीब था के मैं उसे सख्ती के साथ उन बच्चों से खींच कर अलग कर दूं लेकिन जैसे जैसे मैं उसके पास जाती वह पारे की तरह छिटक कर मुझसे दूर हो जाती उसकी ये हरकतें बढ़ती गई और वो सारे लोगों की नजर का मरकज बन गई,
वहां मौजूद तमाम औरतें उसकी इन हरकतों पर जोर जोर से हंस रही थी,
मेरी नजर प्रिंसिपल पर पड़ी जिनकी पेशानी शर्मिंदगी के पसीने से सराबोर थी वह अपनी सीट से उठी और मुझसे कहने लगी
" इस बेहूदा और बद तमीज लड़की को स्कूल से निकालना जरूरी है "
मैंने भी उनकी इस बात की ताइद की,
लेकिन एक चीज ने हम सबकी नज़रों को मुतावज्जोह किया के इस पूरे वक्फे मे उस बच्ची की मां खड़ी होकर अपनी बच्ची की इन हरकतों पर ताली बजाती रही, जैसे के वो उसकी हौसला अफजाई कर रही थी के वह अपना फिजूल काम जारी रखे,
जैसे ही नज़्म खतम हुई मैं जल्दी से स्टेज की तरफ बड़ी और उस लड़की को ज़ोर से पकड़ कर खींचा और बोली
" तुमने अपनी सहेलियों से नज्म पढ़ने की बजाए ये अजीब अजीब हरकतें क्यों की ??"
वह बोली :
" इसलिए के प्रोग्राम में मेरी मां भी मौजूद थीं "
मुझे उसके इस ढितायी भरे जवाब पर बड़ी हैरत हुई, लेकिन मुझे उस वक्त बड़ा धचका लगा जब उसने आगे ये कहा
" मेरी मां बोल और सुन नहीं सकती, मैंने गूंगे बहरे लोगों की ज़बान में इस नज़्म का तर्जुमा अपनी मां के लिए पेश किया ताकि बाक़ी बच्चियों की माओं की तरह मेरी मां भी अपनी बेटी की कारकरदगी पर खुशी का इजहार कर सके "
जैसे ही उसने ये खुलासा किया वह दौड़ कर अपनी मां की तरफ बड़ी और उसके गले लग कर ज़ार ओ कतार रोने लगी,
जब वहां मौजूद सारे लोगों को हकीकत मालूम हुई तो सारा हॉल सिसकियों से गूंज उठा,
वाक्ए का सबसे खूबसूरत पहलू ये हैं के प्रिंसिपल ने उस लड़की को स्कूल से निकालने की बजाए उसे इनाम से नवाजा और उसे " मिसाली तालीबा" का खिताब दिया,
वह लड़की जब वहां से निकली तो सर उठाकर खुशी से उछलते हुए जा रही थी,
सबक: कुछ मौकों पर जल्दबाजी में कोई रद्दे अमल ज़ाहिर मत कीजिए, दूसरों पर हुक्म लगाने में जल्दी से काम मत लीजिए,
महज़ बदगुमानी की बुनियाद पर हम एक दूसरे से नफरत करते हैं, मिलना जुलना कम करते हैं, रिश्ते खत्म कर लेते हैं
अल्लाह से लोगों के साथ हुस्न ए ज़न की तौफीक मांगिए के उसी में दिलों का सुकून और दिलों की सलामती है,
तर्जुमा: Umair Salafi Al Hindi