Monday, November 2, 2020

कुर्बानी का लुग्वी मतलब:

 


कुर्बानी का लुग्वी मतलब:

कुर्बानी अरबी ज़बान के अल्फ़ाज़ कुर्बान की बदली हुई शक्ल है और इससे मुराद हर वह चीज है जिससे अल्लाह का तकर्रूंब हासिल किया जाए, चाहे ज़बीहा हो या कुछ और,
(मोअज्जम अल वासीत)
कुछ उलेमा के नज़दीक कुर्बानी का लफ्ज़ कुरब से बना है चूनांचे इसके जरिए से अल्लाह की नजदीकी हासिल कि जाती है इसलिए इसे कुर्बानी कहा जाता है,
कुर्बानी से मुराद ऊंट , भेड़, गाय, और बकरियों में से कोई जानवर ईद उल अजहा के दिन और तश्रीक के दिनों 11,12,13 जुल हिज्जह में अल्लाह ताला का कुरब हासिल करने के लिए ज़ीबाह करें,
कुर्बानी का हुकम:
जमहूर उलेमा के नज़दीक कुर्बानी सुन्नत ए मोक्किदा है, लेकिन अल्लामा शौकानी ने अपनी किताब " अस सलिलुल जर्रार" में दलील लिखने के बाद लिखा है कि
" कुर्बानी वाजिब साबित होती है लेकिन ये वाजूब ताकत रखने वालों के लिए है, जिसके पास माली ताकत नहीं है उस पर कुर्बानी वाजिब नहीं है"
(मिर आतुल मफातीह)
कुर्बानी की शर्त:
1- खालिस अल्लाह की रजा के लिए ( अल बाय्यिनाह, माईदा)
2- पाकीज़ा माल से ही हराम माल से ना हो ( सही मुस्लिम)
3- सुन्नत के मुताबिक ही, अगर कोई ईद की नमाज़ से पहले ज़ीबाह करे तो उसकी कुर्बानी नहीं होगी क्यूंकि उसने सुन्नत की मुखालिफत की ( सही बुखारी)
4-/ कुर्बानी का जानवर उन कमियों और खामियों से पाक हो जिनकी बुनियाद पर शरीयत ने कुर्बानी से रोका है
4- कुर्बानी बहिमतुल अनाम की होगी ( अल हज) इसके तहत सिर्फ 4 जानवर नर और मादा आते हैं
ऊंट
दुंबा
गाय
बकरी
दो दांत का होना जरूरी है, अगर ऐसा जानवर मिलना मुश्किल हो या कोई दूसरी मजबूरी हो तो भेड़ का खेरा एक साल का कुर्बानी करना सही है (मुस्लिम)
साभार: Umair Salafi Al Hindi