Wednesday, September 17, 2014

72 HOORON KA SAWAAL AUR ISLAM PAR LAGAAYE GAYE BE'BUNIYAAD AUR GANDE ILZAAM


इधर काफी समय से अपने कुछ भाईयों को जन्नत मे मिलने वाली 72 हूरों को लेकर अश्लील बातें करते, और इस्लाम का अपमान करते देख रहा हूँ, कि इस्लाम मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाने को स्वर्ग मे मिलने वाली 72 सुन्दर लड़कियों का लालच देता है, और इसी लालच मे जिहादी फिदायीन हमले कर के स्वयं को बम से उड़ा लेते हैं......

ऐसे आरोप लगाने वाले भी लगता है अपनी अक्ल बेचकर चने खा आए हैं ... इन मूर्खो को कौन समझाए कि अगर वासनापूर्ति ही मुस्लिमों का ध्येय होता तो दुनिया मे ही 72 से बहुत अधिक, अनगिनत जिस्मफरोश स्त्रियों से केवल कुछ दाम देकर सम्बन्ध बना सकते थे जैसे इस्लाम पर अश्लीलता का आरोप लगाने वाले ये गैर मुस्लिम वेश्याओं से सम्बन्ध बनाते हैं, इतनी सुलभ बात के लिए मौत की पीड़ादायक राह कोई महामूर्ख ही चुनेगा

भाई लोग एक फोटो भी बहुत शेयर करते हैं कि एक इस्लामी जिहादी ने अपने शरीर पर बम बांध कर फटने से पहले अपने गुप्त अंग पर मेटल का कवर लगा लिया ताकि उसका अंग नष्ट न हो और वो जन्नत मे हूरों के साथ सम्बन्ध बना सके
ये फोटो झूठा है क्योंकि इस्लाम का ज्ञान रखने वाला हर व्यक्ति जानता है कि कयामत के बाद ईश्वर सभी नष्ट हो चुके मानव शरीरों को दोबारा से, और पूरे का पूरा बना देगा [ पवित्र कुरान के अनुसार ]
सो पूरे शरीर को नष्ट कर देने और एक अंग विशेष को बचाने के प्रयास की मूर्खता कोई मुस्लिम नहीं कर सकता

इस्लाम की सबसे प्रमाणित पुस्तक पवित्र कुरान मे कहीं 72 हूरों की संख्या कहीं नहीं बताई गई है, यदि बताई भी गई होती तो उसमें आपत्ति करने जैसी कोई बात थी नहीं ...
खैर, कुरान मे कुछ पवित्र पत्नियों का जिक्र अवश्य कुछ स्थानो पर है जिनका विवाह , नवजीवन पाकर स्वर्ग मे पहुंची पवित्र आत्माओं से कर दिया जाएगा और वो उनकी जीवन संगिनी बन जायेंगी, [ पवित्र कुरआन 2:25 ], [ 4:57 ], एवं [ 44:54 ], [ 52:20 ]
 
अब जब दुनिया मे विवाह कर के स्त्री पुरुष एक दूसरे के प्रति प्रतिबद्ध हो जाते हैं, और इस बंधन को एक पवित्र बंधन माना जाता है, तो स्वर्ग मे यही बंधन जोड़ना अश्लील कर्म कैसे हो गया हमारे कुछ भाईयों की नजर मे ??
.... और यदि भाईयों को एक विवाह पर नहीं बल्कि 72 स्त्रियों की संख्या पर आपत्ति हो तो सवाल ये है क्या एक से अधिक विवाह करना इतना ही अश्लील कर्म है जितने गंदे आरोप हमारे गैर मुस्लिम भाईयों ने इस्लाम पर लगाए ?? फिर ये भाई श्री कृष्ण जी को क्या कहेंगे जिन्होंने 72 से कई गुना अधिक स्त्रियों से यानी सोलह हजार से ऊपर की संख्या मे विवाह किए थे

इस्लाम मे स्वर्ग की नियामत के रूप मे ये पवित्र पत्नियां उनको मिलेंगी जो दुनिया मे नेक राह पर चलेंगे ऐसा भी कुरान की इन पवित्र आयतों मे स्पष्ट लिखा है ... और कुरान के अनुसार नेक राह है दुखियों पर दया रखना, मोहताज की सहायता करना, सब प्राणियों से प्रेम रखना, और अपनी शुचिता और सतीत्व को सदा पर स्त्री, पुरूषों से बचाकर रखना

मुसलमानों को युद्ध के लिए उकसाने को स्वर्ग मे मिलने वाली सुन्दर लड़कियों का लालच इस्लाम नहीं देता बल्कि ऐसा लालच हमें "महाभारत" मे मिलता हैं जहाँ योद्धा को अपने प्राणों का उत्सर्ग करने को प्रेरित करने के लिए अप्सराओं का वर्णन कुछ ऐसे किया गया है

"हजारों सुन्दर अप्सराएं युद्ध मे मारे गए नायक के चारों ओर दौड़ रही होंगी, हर एक यही चाहती होगी कि नायक उसका पति बने "
[ महाभारत शान्ति पर्व ( अध्याय 12), खण्ड 98, श्लोक 46 ]

वेद मे भी एक व्यक्ति के लिए एक, दो, बहत्तर या हजारों भी नहीं बल्कि इस संख्या से भी कहीं ऊपर "बहुत सारी" यानि जिनकी गिनती भी नही की जा सकती इतनी स्त्रियाँ दिए जाने का जिक्र है, ऐसा अथर्ववेद 4:34:2 मे लिखा है,

अनस्था: पूता: पवनेन शुद्धा: शुचय: शुचिमपि यंति लोकम्‌ |
नैषां शिश्नं प्र दहति जातवेदा: स्वर्गे लोके बहु स्त्रैणमेषाम्‌ ||

गौरतलब है कि कुरान मे तो हूर से जुड़ी कोई अश्लील बात नहीं लिखी फिर भी हमारे भाई लोग इस्लाम पर तरह तरह के गंदे आरोप लगाते हैं, लेकिन खुद अथर्ववेद के इस मन्त्र मे पुरूष अंग के अग्नि आदि से नष्ट न होने का जिक्र ये स्पष्ट करता है कि अप्सरा का मुख्य काम स्वर्गीय पुरुष को सेक्सुअल प्लेजर देना है,
इसी प्रकार जबकि इस्लाम मे वर्णित जन्नत की हूर अपने सतीत्व की रक्षा करने वाली वफादार पत्नी है, वहीं पुराणों मे अप्सराओं से जुड़ी बहुत सी ऐसी कथाएँ हैं जिनसे पता चलता है कि एक ही अप्सरा के साथ अलग अलग समय पर अलग अलग देवता शारीरिक सम्बन्ध बनाया करते हैं, तो बताइए भाईयों, इस्लाम पर आपकी आपत्तियां कहाँ तक जायज़ हैं ....??

 
वैसे हमें इस एक अप्सराओं द्वारा पार्टनर स्वैपिंग की बात के अतिरिक्त किसी बात पर आपत्ति नहीं है, चाहे वो बात स्वर्ग मे एक व्यक्ति को मिलने वाली असंख्य स्त्रियों की हो, या उन स्त्रियों से स्वर्गवासी व्यक्ति का शरीर सुख लेना .... ये सारी बातें स्वीकार्य हैं, यदि स्वर्ग के इन आश्वासनों के कारण व्यक्ति धरती का अपना जीवन आत्मसंयम के साथ बिना किसी अश्लील कर्म मे लिप्त हुए बिता ले जैसे कि अल्लाह से डरने वाले मुस्लिम अपना सारा जीवन बिताते हैं
ViA-- Bro Zia Imtiyaz