अगर आप औरतों से होने वाली ज्यादती पर हैरतजदा नहीं हैं तो इसकी दो ही वजह हो सकती हैं, या तो आप अपने समाज से खतरनाक हद तक बेखबर हैं या फिर हैरानी का नाटक कर रहें हैं इसके इलावा तीसरी कोई वजह नहीं है,
हमारे समाज के मर्दों के लिए इज़्ज़त कि हकदार सिर्फ घर की औरतें हैं, बाक़ी औरतें और बच्चियां उनके लिए गोस्त की दुकानें हैं जिनके सामने वो भूखे कुत्तों कि तरह जबानें लटकाए खड़े हैं,
उनसे कोई बच्चा बच्ची, कोई औरत और हिजड़ा, कोई मुर्दा जिस्म कोई गाय, कोई भेड़ बकरी महफूज़ नहीं, गली महलों से लेकर शहराहों तक और एयवानो से लेकर इबादतगाहों तक सब उनकी चारागाहें हैं,
अव्वल तो कानून शाज़ी ही नहीं, जो कानून मौजूद हैं उन पर अमल पैरा नहीं हुआ जाता, समाज के रहबर तो समाज से ही ला ताल्लुक हैं सो समाजी तरबियत के लिए उनकी तरफ देखना ही बेकार है,
इस लिए अपनी और अपने बीवी बच्चों की हिफाज़त की जिम्मेदारी ख़ुद लें बच्चों को गुड टच और बैड टच का फर्क बताएं, किसी दूसरे पर , किसी खास दोस्त पर भी इस सिलसिले में बिल्कुल भी कोई भरोसा ना करें,
कश्मीर में बच्ची का रेप के बाद में क़त्ल हो जाए या दिल्ली में बच्चों के सामने मां के साथ ज्यादती हो जाए, किसी भी मसले पर ज़ुल्म वा सितम कि इंतेहा हो जाए,
ऐ अहले हिंदुस्तान तुम टस से मस ना होना, कौनसा ये आग अभी तुम्हारे घर तक पहुंची है, खैर वैसे भी वतन ए अज़ीज़ में जंगल का कानून है जो और जम्मू और दिल्ली जैसे केस की राहें और भी खोलेगा ,
मुल्क में रायेज करप्ट निज़ाम एक दिन सबको ले डूबेगा , बस अपनी अपनी बारी का इंतेज़ार करें,
साभार: Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग: islamicleaks.com