Saturday, December 5, 2020

उसूल ए हदीस : किस्त 5

 



उसूल ए हदीस : किस्त 5

हदीस खबर अहाद की किस्में:

रिवायत करने वालों की तादाद अगर कम है तो ये कितनी है ? तीन या उससे कम, अगर किसी तबके में उनकी तादाद कम से कम तीन है तो उसको मशहूर , दो हैं तो अज़ीज़ , और एक हैं तो घरीब कहा जाता है,

मशहूर : उस हदीस को कहते हैं जिसमें रिवायत करने वालों कि तादाद हर तबके में कम से कम तीन हो, जैसे हदीस

إِنَّ اللَّهَ لَا يَقْبِضُ الْعِلْمَ انْتِزَاعًا
तर्जुमा: "अल्लाह इल्म को इस तरह नहीं उठालेगा के उसको बन्दों से छीन ले" (सही बुखारी हदीस 100)

इसको हज़रत आयशा, अबू हुरैरा, इब्न उमर, तीन सहाबा ने रिवायत किया है, फिर मुख्तलिफ लोगों ने रिवायत किया है,

अज़ीज़: उस हदीस को कहते हैं जिसमें रिवायत करने वालों कि तादाद हर तबके में कमसे कम दो हों, जैसे हदीस

ا يُؤْمِنُ أَحَدُكُمْ حَتَّى أَكُونَ أَحَبَّ إِلَيْهِ مِنْ وَلَدِهِ وَوَالِدِهِ وَالنَّاسِ أَجْمَعِينَ
तर्जुमा: " तुम में से कोई सख्स साहबे ईमान नहीं हो सकता जबतक के मैं उसे उसकी औलाद, माँ बाप, और सब लोगों से ज्यादा प्यारा ना हो जाऊं " ( सुनन निसाई हदीस 5016)

इसको रसूल अल्लाह मुहम्मद सल्लालाहु अलैहि वसल्लम से हज़रत अनस , और अबू हुरैरा ने रिवायत किया है, और हज़रत अनस से कतादह और अब्दुल अज़ीज़ ने रिवायत किया है, इब्तिदाई सनद के ऐतबार से ये अज़ीज़ है ऐसे ही हज़रत अनस की सनद के ऐतबार से अज़ीज़ है,

घरीब : उस हदीस को कहते हैं जिसमें रिवायत करने वालों कि तादाद किसी तबके में कमसे कम एक हो, जैसे सही बुखारी की आखिरी रिवायत:

" كَلِمَتَانِ خَفِيفَتَانِ عَلَى اللِّسَانِ، ثَقِيلَتَانِ فِي الْمِيزَانِ، حَبِيبَتَانِ إِلَى الرَّحْمَنِ: سُبْحَانَ اللهِ وَبِحَمْدِهِ، سُبْحَانَ اللهِ الْعَظِيمِ "

इसमें अबू हुरैरा से अबू ज़र, उनसे अमारा बिन काक़ा, उनसे मुहम्मद बिन फुजैल सब एक दूसरे से मुनफराद हैं,

घरीब को फर्द भी कहा जाता है, उसकी 2 किस्में होती हैं,

घरीब मुतलक़ : वह हदीस जिसकी इब्तिदाई सनद (जिधर सहाबी मज़कूर हैं ) में घराबत पाई जाती है,

मसलन किसी एक ही सहाबी ने रिवायत किया हो, या सहाबी से किसी एक ही ताबाई ने रिवायत किया हो, जैसे हदीस:

الإيمان بضع وسبعون أو بضع وستون شعبة، فأفضلها قول لا إله إلا الله،
तर्जुमा: "ईमान की 70 साखें है और सबसे ऊंची साख ला इलाहा इल्लल्लाह है " (बुखारी)

इसमें अबू सालेह, अबू हुरैराह से मुंफराद हैं, और अब्दुल्लाह बिन दिनार, अबू सालेह से मुंफराद हैं,

घरीब नस्बी : वह हदीस जिसके दरमियान ए सनद ( तबाई , तबा ताबाई, या उसके बाद) घराबत पाई जाती हो, जैसे हदीस इब्न मसूद

قَالَ سَأَلْتُ رَسُولَ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-أَيُّ اَلذَّنْبِ أَعْظَمُ? قَالَ: { أَنْ تَجْعَلَ لِلَّهِ نِدًّا, وَهُوَ خَلَقَكَ.‏ قُلْتُ ثُمَّ أَيُّ?

तर्जुमा: " मैंने (अबदुल्लाह बिन मसूद ) ने अल्लाह के नबी से पूछा :- कौन सा गुनाह अल्लाह के नजदीक बड़ा है ?? तो आपने फरमाया :- अल्लाह के साथ किसी गैर को शरीक करना " (सही बुखारी हदीस 4477)

इसमें अब्दुर्रहमान बिन माहदी, इमाम थौरी से मुंफरीद हैं और इमाम थौरी वासिल बिन अहजब से मुंफरीद हैं,

बा ऐतबार ए इस्तेलाह फर्द का इत्तेलाक मुहद्दीसीन के यहां अमूमन फर्द ए मुतलक़ पर और घरीब का फर्द ए नस्बी पर होता है, लेकिन बा ऐतबार इस्तेमाल कोई फर्क नहीं होता, फर्द ए मुतलक़ वा नस्बी दोनो के लिए ” تفرد به فلان " (उसकी इन्फिरादियत) कहा जाता है,

तबका : हम असर रावी उम्र में या मसाइख से हदीस रिवायत करने में एक दूसरे के बराबर, या तकरीबन बराबर हो तो उसको तबका ( मावाफिक जमात) कहा जाता है जैसे :

इब्न उमर --- अबू हुरैरा ---अनस
नाफ़े --- अबू सिरीन --- कतादह
मालिक --- अय्यूब सख्तियानी --- शायबा

इसमें इब्न उमर, अबू हुरैरा, अनस बहैसियत ए सहाबी हम तबका हैं, इसी तरह नाफ़े, अबू सिरीन, कतादह हम तबका हैं , ऐसे ही मालिक , अय्यूब सख्तियानी, शायबा एक तबका के हैं,

खबर अहाद की बा ऐतबार क़ुबूल और अदम क़ुबूल दो किस्में होती हैं, एक को मकबूल (काबिल अमल) और दूसरी को मर्दुद (ना काबिल ए अमल) कहा जाता है,

मकबूल: इस हदीस को कहते हैं जिसमें खबर देने वाले की सच्चाई साबित हो,

मरदूद : उस हदीस को कहते हैं जिसमें खबर देने वाले की सच्चाई मजरूह हो (यानी साबित ना हो)

जारी...

इंशाल्लाह अगले किस्त में इसका बयान होगा

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com