Friday, December 4, 2020

उसूल ए हदीस - किस्त 4


 


उसूल ए हदीस - किस्त 4

हदीस मुतावातीरा की किस्में

मुतावातिरा लफ्जी : जिस हदीस का लफ्ज़ और माने (Meaning) दोनो तवातीर से साबित हो उसे मुतावातिरा लफ्जी कहा जाता है,

मुतावातिरा मानवी : जिस हदीस का सिर्फ माना तवातुर से साबित हो तो उसको मुतावातिर मानवी कहा जाता है,

मुतावातिर की शर्त:

किसी हदीस के मुतावातिर होने के लिए चार शर्त होती हैं

1- रिवायत करने वालों कि तादाद जायदा हों जिससे इल्म हासिल हो,

2- ये ज्यादती इब्तिदा से लेकर इंतेहा तक हर तबका में हो,

3- झूट पर अकलन या आदतन इनका इत्तेफाक़ मुमकिन ना हो ,

4- इस खबर का दारोमदार इल्म पर हो,

अगर इसका ताल्लुक अक्ल से है तो मुतावातिर नहीं होगा , मसलन ऐसी चीज हो जिस पर अहले इल्म अपनी अकल से इस्तदलाल करके या तजुर्बे की बुनियाद पर सहमत हो जाएं तो उसको मुतावातिर नहीं कहा जायेगा चाहे उनकी तादाद लाखों में हो , इसलिए के अकल से जो चीज साबित कि जाती है उसके तब्दीली की गुंजाइश रहती है,

मसलन आज के वैज्ञानिक किसी चीज पर सहमत हो जाते हैं लेकिन बाद में आने वाले उसको गलत करार दे देते हैं जैसे ज़मीन का गर्दिश करना वगेरह

नोट: हदीस मुतावातिरा को मजीद समझने के लिए किस्त ३, २,१ को पढ़ने की गुज़ारिश है,

आइंदा किस्त में हदीस खबर अहाद की किस्मों का ज़िक्र होगा, इंशाअल्लाह

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com