अज़रबैजान और आर्मेनिया की जंग के ताल्लुक से कुछ हकायेक
अज़रबैजान और आर्मेनिया जब 1991 में आज़ाद हुए तो अज़रबैजान का एक इलाका जिसका नाम कोरांगो काराबाघ है यहां के रहने वालों ने आर्मेनिया का साथ दिया लिहाज़ा आर्मेनिया ने हमला किया और कारबाघ पर कब्ज़ा कर लिया उस वक़्त से लेकर आज तक ये इलाका मुतानाजे है,
और अब इसी इलाके के तनाजे की वजह से दोबारा जंग शुरू हो गई है, याद रहे आर्मेनिया एक ईसाई रियासत है, और अज़रबैजान खालिस शिया रियासत है,
लिहाज़ा इसे इस्लाम और कुफ्र की जंग समझना निहायत गलती है,
ये इन दोनों मुमालिक की जंग सरहदी तनाजा पर है,
सोशल मीडिया में देखने में आया है की मोदी भक्त इसमें आर्मेनिया का साथ दे रहें हैं मुस्लिम अज़रबैजान का ,
भक्तों का आर्मेनिया को समर्थन देना निहायत हास्यास्पद है
अज़रबैजान और आर्मेनिया जब 1991 में आज़ाद हुए तो अज़रबैजान का एक इलाका जिसका नाम कोरांगो काराबाघ है यहां के रहने वालों ने आर्मेनिया का साथ दिया लिहाज़ा आर्मेनिया ने हमला किया और कारबाघ पर कब्ज़ा कर लिया उस वक़्त से लेकर आज तक ये इलाका मुतानाजे है,
और अब इसी इलाके के तनाजे की वजह से दोबारा जंग शुरू हो गई है, याद रहे आर्मेनिया एक ईसाई रियासत है, और अज़रबैजान खालिस शिया रियासत है,
लिहाज़ा इसे इस्लाम और कुफ्र की जंग समझना निहायत गलती है,
ये इन दोनों मुमालिक की जंग सरहदी तनाजा पर है,
सोशल मीडिया में देखने में आया है की मोदी भक्त इसमें आर्मेनिया का साथ दे रहें हैं मुस्लिम अज़रबैजान का ,
भक्तों का आर्मेनिया को समर्थन देना निहायत हास्यास्पद है