Friday, December 11, 2020

MOHABBAT AUR NASHA

 



डिप्रेशन :

लोगों में मुहब्बत करने में और उनकी जा़त का आदी होने में बहुत फर्क है,
जब आप मुहब्बत करते हैं येे इतना नुकसानदेह नहीं है जितना आदी होना है, आदी होना एक लत है और लत हमेशा आपको तकलीफ देती है,
किसी भी तरह का नशा सबसे पहले आपसे आपकी जा़त छीनता है, ऐसे ही किसी इंसान का नशा भी आपसे आपका अपना आप छीनता है,
आप इस पर अनजाने में Rely करना शुरू कर देते हैं, उस आम इंसान का होना भी इतना अहम हो जाता है के आप अपना खास तबाह कर देते हैं, येे चीज बहुत नुकसानदेह है आपकी सलाहियतें खत्म हो जाती हैं, आप सब में होकर तन्हा हो जाते हैं, आप एक मनफी इंसान बनना शुरू हो जाते हैं, आप खुद पर यकीन खो देते हैं, यहां गलत कौन है ?? यहां गलत आप हैं !!
आपके गलत तर्ज़े अमल ने आपको तकलीफ दी है, दीन हमें ऐतेदाल क्यूं सिखाता है ?? क्यूंकि ऐतेदाल (संयम) हमें आदी( addicted) नहीं करता, वह हमें ज़रूरत के तहत Dealing करना सिखाता है, वह हमें बताता है हमेशा तुम्हारा मनपसंद शक्श नहीं होगा उसकी Replacement पर भी पुरसुकून रहना है, क्या आपको समझ आता है ??
येे जो ईमान वालों कि सिफत है ??
۔ والذین امنو اشد حبا للہ۔ یہ کیوں بتائی گی ؟
तर्जुमा: और जो मोमिन हैं उन्हें अल्लाह के साथ कवी मुहब्बत है,
जब आप अल्लाह को अपनी लिस्ट में हकीकतन ऊपर ले जाते हैं, और बाकी सारी लिस्ट नीचे रह जाती है पर अल्लाह ऊपर आ जाता है तो आप किसी के भी Addicted नहीं होते, आप टूटते नहीं, आप इंसानों में जलील नहीं होते ,
अल्लाह की मुहब्बत देखें वह हमारी Self Respect महफूज़ करता है और हम खुद को मजरूह करते हैं, अल्लाह ने आदम की औलाद को इज़्ज़त दी, पर औलाद ए आदम खुद पस्ती पर मायेल हो जाए तो इसमें क्या हो सकता है ??
ताल्लुकात निभाएं पर उनके ताबे ना हो जाएं, ख़ुद को दीन के ताबे करें अल्लाह के ताबे करें, रसूल के ताबे करें, येे आपकी तिजारत है, येे आपका सौदा है उससे कम पर तिजारत नहीं हो सकती है,
जब आप हकीकतन अल्लाह के हो जाएंगे ये सारा जहां आपका हो जायेगा,
ताल्लुक सोच समझ कर बनाएं कहीं ये आपकी सारी सोच समझ ही ना खरीद ले, ख़ुद को आदी करना है, तो रब से गुफ्तगू के लिए करें, तिलावत कुरआन का करें, रसूल की सीरत का करें, नेक लोगों की सोहबत का करें,
हम अपनी आदतें खुद खराब करते हैं उनको ठीक भी हमें खुद करना है।
मुहब्बतो में हदें अच्छी लगती हैं,
बस अल्लाह से मुहब्बत बेहद अच्छी लगती है।
साभार : Umair Salafi Al Hindi
ब्लॉग:Islamicleaks.com