Sunday, December 13, 2020

अंधभक्तों और खलीफा के मुरीदों की मालूमात में इजाफा के लिए,

 



अंधभक्तों और खलीफा के मुरीदों की मालूमात में इजाफा के लिए,


आखिरी उस्मानी बादशाह अब्दुल मजीद सानी को सुकूत सल्तनत के फौरन बाद खाली हाथ और ज़लील और रुसवा करके खानदान समेत मुल्क बदर कर दिया गया,

बल्कि 1924 में तुर्की में बाकायदा एक कानून पास करके इनकी आल वा औलाद और खानदान दीगर अफ़राद से तुर्की की शहरियत तक छीन ली गई, उन्हें बेयार आे मददगार कर दिया गया, उनकी तमाम जायदाद को जब्त कर लिया गया,

पेरिस में 1944 में इनकी मौत हो गई, लाश दफन होने के इंतज़ार में कई दिनों तक यूंही पड़ी रही, पड़ोसियों ने शिकायत भी लगाई, बिल आखिर पेरिस के एक मस्जिद ट्रस्ट के हवाले किया गया, उधर घरवालों ने तुर्क हुकूमत से बड़ी मिन्नत समाजत की के सल्तनत उस्मानिया के आखिरी बादशाह को बा इज्जत तरीके से कम से कम अपनी मिट्टी में दफन किया जाए,

मगर वह ज़ालिम और संगदिल लोग कहां सुनने वाले थे ,दरख्वास्त को बड़ी हिकारत से ठुकरा दिया, आखिर में सऊदी अरब के बादशाह मालिक अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाह अलैह से इनके घरवालों ने इस मुकद्दस सर ज़मीन में दफन की इज़ाजत मांगी और दरख्वास्त की,

नरमदिल और इंसाफ पसंद बादशाह ने इनके घरवालों की दरख्वास्त और इजाज़त बहुत एहतेराम क़ुबूल किया और बिलाखिर मदीना मुनव्वरा के बक़ी कब्रस्तान में उन्हें सुपुर्द ए ख़ाक कर दिया गया,

इस वाक्ए को ज़िक्र करने का ये मकसद है के खिलाफत के नाम पर कैसी ठगी की जा रही है इसे याद रखने की जरूरत है, जिनकी बाकियात तक को भी तुर्की में क़ुबूल नहीं किया गया, जिन्हें दफन तक कि इजाज़त नहीं मिली

आज इनके नाम पर खलीफा ने तौसी के नाम पर अरब मुमालिक में कतल वा खुनरेंजी का बाजार गरम किया हुआ है,

हर तरफ तबाही फैलाए हुअा है, दुश्मन ए इस्लाम बिलखुसुस सहयूनी और राफ़जी का आला कार और सहूलियतकार बना हुआ है,