नबी ए करीम मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया :- " अल्लाह ताला फरमाता है के
मैं अपने बन्दे के गुमान के साथ हूं और जब वह मुझे अपने दिल में याद करता है तो मैं भी उसे अपने दिल में याद करता हूं और जब वह मुझे मजलिस में याद करता है तो मैं उसे उससे बेहतर फरिश्तों की मजलिस में उसे याद करता हू और अगर वह मुझसे एक बालिश्त करीब आता है तो मैं उससे एक हाथ करीब हो जाता हूं, और अगर वह मुझसे एक हाथ करीब आता है तो में उससे दो हाथ करीब हो जाता हूं, और अगर वह मेरी तरफ चलकर आता है तो मैं उसके पास दौड़ कर आ जाता हूं"
(सही बुखारी हदीस 7405)