Wednesday, December 2, 2020

उसूल ए हदीस - किस्त 2

 



उसूल ए हदीस - किस्त 2


हदीस और उसकी किस्में

उसूल ए हदीस का असल मकसद हदीस ए रसूल की हिफाज़त करना है लिहाज़ा सबसे पहले हदीस और रसूल की तारीफ़ मालूम करना ज़रूरी है,

हदीस : अल्लाह के रसूल मुहम्मद (sws) के कौल (Quotes), फायेल (doing), तकरीरात (Speech), पैदाइश (Birth) और अखलाकी सिफात को हदीस कहते हैं,

कौल : आपका कुछ कहना जैसे " अमाल का दारोमदार नीयत पर है "

फायेल: आपका कुछ करना

तकरीर : आपकी बरक़रार रखी हुई चीज़ यानि किसी सहाबी ने आपके सामने कुछ किया या कहा, आपको इसकी खबर मिली फिर आपने उस काम को बुरा नहीं समझा ना मना किया बल्कि खामोशी इख्तियार कर ली, जैसे कि हज़रत खालिद का आपके सामने गोह (चिपकली) खाना

सिफात ए खिलकिया : पैदाइशी सिफात जैसे आपका गोरा, दरमियानी कद, भरी हुई दाढ़ी वगेरह वाला होना

सिफात ए खुलकियाह : अखलाकी सिफात मसलन आपका सादिक, आमीन, सखी, और साबिर होना, कभी कभी हदीस पर खबर और असर का भी इत्तेलाक होता है,

रसूल : इंसानों में से अल्लाह के वो मुंताखब या चुने हुए बन्दे जिनको अल्लाह ताला ने नई शरीयत देकर लोगों तक पहुंचाने का हुक्म दिया,

तकसीम हदीस अज़ रुए तादाद मुखबर (खबर देने वाला, रावी)

सबसे पहले हदीस की दो किस्में होती हैं, जैसा कि पहली किस्त में इसका बयान हुआ था, यहां दोबारा ज़िक्र करना मुनासिब मालूम होता है,

पहली किस्म अज़ रुए अदद मुखबर (यानी हदीस बयान करने वालों कि तादाद के ऐतबार से )

दूसरी किस्म अज़ रुए निस्बत (यानी बयान करदा कलाम की निस्बत कहां तक पहुंचती है, रसूल तक पहुंचती है या सहाबा तक, या तबाईं, या तबा तबाईं तक )

जो तकसीम अज़ रुए अदद मुखबर की जाती है उसमें ये देखा जाता है के मुखबरीन की तादाद मुताइयन (Fix) है या गैर मुताइयन , अगर मुताइयन है तो कितनी है ? तीन से कम है या उससे ज्यादा, अगर तीन या उससे कम हैं तो उसकी अदद क़लील और ज़्यादा है तो उसको अदद क़सीर कहा जाता है,

अदद क़लील वाली रिवायत को खबर आहाद और अदद कासीर वाली रिवायत को खबर मुतावातीर कहते हैं, जिसकी तारीफ ये है

" जिन लोगों ने मुतवातीर के लिए हर तबके में कमसे कम चार रावी होने की शर्त लगाई है उनके हिसाब से तारीफात (यानी गरीब, अज़ीज़ , मशहूर, मुतावातीर) में तसल्लुल बरकरार रहता है, लेकिन जिन लोगों ने कम से कम दस लोगों की शर्त रखी है जिसको सही भी कहा जाता है उनके ऐतबार से चार से नौ तक की तादाद वाली सनद को क्या कहेंगे ये खला बाकी रहता है, लिहाज़ा बेहतर ये है के चार से ऊपर तादाद होने पर मुतावतीर का फ़ैसला किया जाए "

खबर आहाद : उस हदीस को कहते हैं जिसमें रिवायत करने वालों कि तादाद कम हो ( जो हुदूद तवातीर को ना पहुंचे)

मुतावतीर से जो इल्म हासिल होता है उसको " इल्म जरूरी" कहा जाता है,

मकबूल खबर आहाद से जो इल्म हासिल होता है उसको " इल्म ज़नी" कहा जाता है, इल्ला ये के उसकी सेहत के लिए कोई और करीना (Condition) मौजूद हो तो उससे जो इल्म हासिल होता है उसको "इल्म नजरी " कहा जाता है,

जारी...

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog:islamicleaks.com