Thursday, August 27, 2020

तदवीन हदीस और फितना मुंकिरीन ए हदीस- (किस्त 1)





तदवीन हदीस और फितना मुंकिरीन ए हदीस- (किस्त 1)

तदवीन हदीस का पहला दौर

इस पोस्ट में हम बताएंगे के ताबईन का दौर तो दूर की बात है, सहाबा किराम का दौर हो 110 हिजरी तक है में, बल्कि पहली सदी हिजरी के आखिर तक हदीस की क्या कुछ किताबें उम्मत के हाथों में थी,

ताकि मुनकर ए हदीस का ये झूट तारीखी हकीकत की रोशनी में पूरी तरह से सामने आ जाए

मुंकर्स फरमाते हैं

" तबाईन के दौर तक हदिसें जमा नहीं की गईं थीं और सिवाए क़ुरआन के उम्मत के हाथों में कोई दूसरी किताब ना थी "

जवाब

सहाबा किराम के तहरीरी मजमुए

1- सहीफा सादिकाह

मुरत्तब हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर वा अब्दुल्लाह बिन आस ( 93 हिजरी)

(बुखारी किताबुल इल्म बाब किनायतुल इल्म)

ये साहिफा एक हज़ार हदीस पर मुस्तामिल था,

(उसदुल गाबा पेज 233)

और ये मुसनद अहमद में ये तमाम सहिफा मिल सकता है, इस सहीफे को देख कर उनके पड़ पोते उमर बिन सुहैब हड़ीसें रिवायत किया करते थे, और अकाबिरीन मुहद्दिसीन जैसे इमाम बुखारी, मलिक, अहमद बिन हम्बल, इशाक बिन रोहियाह वगेरह हम उनकी रिवायत पर ऐतमाद करते थे,

(तारीख उल हदीस वल मुहद्दिसीन पेज 310)

2- साहीफा उमर बिन अल खत्ताब

जब हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ ने हदीस की जमा वा तदवीन का हुक्म दिया तो हज़रत उमर की ये किताब उनके खानदान से मिली उस किताब में सदकात वा जकात के अहकमात दर्ज थे,

इमाम मालिक फरमाते हैं

" मैंने हज़रत उमर की ये किताब पढ़ी थी"

(मोआत्ता इमाम मालिक पेज 106)

3- सहीफा उस्मान

इस सहिफा में भी जकात के बहुत से अहकाम दर्ज थे, ये वही सहिफ़ा है जिसके ताल्लुक से मुनकर ए हदीस हाफ़िज़ असलम साहब फरमाते है

" हजरत अली ने अपने बेटे मुहम्मद बिन हनफिया के हाथ एक पर्चा भेजा जिसमें जकात के अहकाम दर्ज थे तो आपने ये कह दिया के हमें इससे माफ़ रखो "

मुनकार हदीस हाफ़िज़ असलम साहब इससे हज़रत उस्मान की हदीस से बेरुखी साबित करते हैं

जबकि हकीकत ये है के इससे हज़रत उस्मान की किताबत हदीस साबित होती है,

ये वाकया बुखारी किताबुल जिहाद में मौजूद है,

4- सहीफ़ा हज़रत अली

इमाम बुखारी की तशरीह से मालूम होता है कि ये मजमुआ काफी बड़ा था,

( बुखारी किताब उल इल्म)

उसमे जकात, सदकात , दियत, किसास, हुर्मत मदीना, खुतबा जुमा तुल विदा, और इस्लामी दस्तूर के नुकात मौजूद थे, ये आपके बेटे हज़रत मुहम्मद बिन हनफिया के पास था,

( बुखारी किताब उल इल्म बाब किताबियत उल इल्म )

फिर हज़रत जाफर के पास आया, इसी की नकल आपने हारिश रह्महुलाह को लिख कर दी

( तदवीन हदीस 7/317)

5- सहीफ़ा हज़रत अनस बिन मालिक

वह सहीफ़ा जिसे आपने नबी ए रहमत मुहम्मद (sws) को सुनाकर उसकी तस्दीक भी फरमाई थी,

6- खुतबा फतह मक्का

जिसे आपने अबू शाह यमनी की दरख्वास्त पर अपना मुफस्सिल खुतबा कलमबंद करने का हुक्म दिया

( मुस्तरदर्क हाकिम जिल्द 3 पेज 574)

ये खुतबा हुकूक उल इंसानी की अहम तफ़सीलात पर मुष्तामिल है,

7- मुसनद हज़रत अबू हुरैरा

इसके नुस्खे सहाबा के दौर में ही लिखे गए थे, इसकी एक नकल हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के वालिद अब्दुल अज़ीज़ बिन मरवान गवर्नर मिस्र (86 हिजरी) के पास भी थी,

हजरत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ (101 हिजरी) ने कैसर बिन मुर्रह को लिखा था के सहाबा किराम की जो हदीसें तुम्हारे पास मौजूद हैं वह हमें लिख कर भेजें, मगर अबू हुरैरा की रिवायत भेजने की जरूरत नहीं क्यूंकि वह हमारे पास पहले ही लिखी हुई मौजूद हैं

(तबकात इब्न साद 7/157)

8- सहीफ़ा हम्माम बिन मुनब्बेह

हम्माम बिन मुनब्बेह हज़रत हज़रत अबू हुरैरा के शार्गिद हैं जिन्होने 138 हदीस का एक सहीफ़ा तैयार किया था, ये सहीफ़ा मुसनद अहमद बिन हम्बल में दर्ज है,

9- सहीफ़ा बशीर बिन नहक

ये भी हजरत अबू हुरैरा के शार्गिद हैं उन्होने भी एक मजमुआ हदीस मुरत्तब किया था और हज़रत अबू हुरैरा पर पेश करके उसकी तौसीब करा ली थी,

( जामे बयान उल इल्म 1/72)

10- सहीफ़ा हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह

ये मजमुआ मनासिक हज, और खुतबा हज्जतुल विदा पर मुष्तामिल था, इसको आपके शार्गिद वहाब बिन मुनब्बेह (110 हिजरी) और सुलेमान बिन कैस ने मुरत्तब किया

(तहज़ीब उल तहज़ीब 5/215, तिरमिज़ी माजा फिल अर्जुल मुश्तरक)

11- हज़रत आयशा की रिवायत

जो उनके शार्गिद उरवाह बिन ज़ुबैर ने कलमबंद किया

(तहज़ीब उल तहज़ीब 5/183)

12- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास की रिवायत

जिसे हज़रत सईद बिन ज़ुबैर ताबई ने मुरत्तब किया,

(दारिमी पेज 68)

एक बार ताएफ के कुछ लोग हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास के पास आए तो आपने अपना जासुदान निकाला और उसके से कुछ हदीस उन्हें इमला कराई

(तिरमिज़ी किताब उल अलल)

13- सहीफ़ा उमरो बिन हज़म

जब उन्हें रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) ने यमन का गवर्नर बना कर भेजा तो फायाएज वा सुनन और सदाकात वा दियत पर मुष्तमिल अहकाम लिखवा कर दिए

(तारीख उल हदीस वा मुहाद्दिसीन पेज 303)

बाद में उन्होंने मजीद फरामीन नाबावी शामिल करके एक अच्छी खासी किताब मुरत्तब कर ली,

(जमिम्याह अल आलम सैलीन मन कुतुब सईद उल मुरसलीन इब्न तौलून)

14- रिसाला समुर्रा बिन जुंदुब

ये रिसाला रिवायत के एक बड़े ज़खीरे पर मुष्तामिल था

(तहज़ीब उल तहज़ीब 4/236)

जो बाद में उनके बेटे को विरासत में मिला

15- सहीफ़ा अब्दुल्लाह बिन मसूद

जिसके मुताल्लिक उनके बेटे अब्दुर्रहमान ने हल्फिया बयान दिया के वह उनके बाप ने अपने हाथ से लिखा था,

(जामे बयान उल इल्म 1/72)

16- रिसाला सईद बिन उबादा अंसारी

इनके पास भी हदीस ए नाबावि का एक रिसाला मौजूद था,

(तबकात 3/142)

ये थे वो माजमुए जो सहाबा के दौर में मुरत्तब हुए और जिनमें बेशतर सहाबा किराम ने खुद लिखे या लिखवाए

अब गौर फरमाइए के अगर मना किताबत हदीस वाली हदीस का हुकम आम था तो क्या ये सब सहाबा , रसूल अल्लाह मुहम्मद (sws) के ना फरमान हो गए थे ??

साभार: Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com