Sunday, August 30, 2020

AAP-BEETI UMAIR SALAFI AL HINDI





आप बीती - Umair Salafi Al Hindi

तकरीबन आज से 10 या 11 साल पहले की बात है जब मुझे दीन का इल्म और अहले बातिल से बहेस करने का बहुत ज़्यादा जज्बा हुआ करता था, मेरी अक्सर कोशिश होती के नई से नई किताबों का मुताला करू,

ऐसा कोई जलसा या इज्तेमा ना होता जिसमें में कोई नई किताब खरीद कर ना लाता, बहस और मुबाहिसों के लिए अक्सर दलायेल के लिए कई बार इस्लामिक लाइब्रेरी का रुख भी किया और इस्तेफादा हासिल हुआ , मैंने अपनी ज़िन्दगी में कई फिर्कों से बहस वा मुबाहेसा किया था,

उसी दौरान घर में मुझे एक किताब मिली जो के कबाड़ में पड़ी हुई थी और घर में रंगाई वा पुताई में सफाई के दौरान बाहर आ गई थी, उस किताब के कवर पर लिखा था

" मकाम ए हदीस"

मैंने इस किताब का टाइटल देख कर उसे पड़ना शुरू कर दिया ये सोचकर के शायद इस किताब में हदीस के मकाम का ज़िक्र होगा, लेकिन यकीन मानिये जैसे जैसे मैं इस किताब के पन्ने उलटते जा रहा था मेरे माथे पर पसीना निकलता जा रहा था, एक अजीब कैफियत तारी थी, ऐसा लगता था जैसी मेरे मनहज का मजबूत किला डहता जा रहा हो, एक अजीब सी बेचैनी थी,

दरअसल वो किताब एक मुनकर ए हदीस की थी जिसका नाम परवेज़ था, और उस वक़्त मुझे इल्म भी नहीं था कि ऐसा कोई फिरका है जो हदीस का इनकार करता है क्यूंकि मेरा कभी भी उन दिनों मुनकर हदीस से बात करने का मौका मिला ही नहीं , में इस फीतने से अनजान था,

बहरहाल इस किताब ने मेरे कल्ब पर बहुत गहरा असर किया , अगर उस दौरान मुझे किसी मुनकर का साथ मिल गया होता तो मैं भी पक्का मुनकर हदीस हो चुका होता, लेकिन अल्लाह को कुछ और मंजूर था, मेरी उस वक़्त की कैफियत से अल्लाह बखूबी वाकिफ था,

उस दौरान मेरे कमरे में किसी बुजुर्ग का आना हुआ अक्सर वो किताब लेने के सिलसिले में मेरे कमरे में आ जाया करते थे उसी दौरान मेरी उनसे कुछ गुफ्तगू हो जाया करती थी, मैंने उनको यही किताब " मकाम ए हदीस " पढ़ने को दे दी,

और अगले दिन उनसे फीडबैक लेने के लिए उनके पास पहुंचा , मैंने पूछा ये किताब कैसी है??

उन्होंने तंजिया कलाम करते हुए मुझसे कहा कि :- " इसे कोई पढ़ा लिखा जाहिल पड़ेगा तो मुनकर ए हदीस हो जाएगा ??"

मुझे लगा शायद उनका ये सख्त कलाम मेरे लिए ही है,!!

फिर उन्होने मुझसे कहा :- "इस किताब का जवाब पाकिस्तान के एक आलिम ने दे दिया है"

मेरे दिल में फिर से उलझन शुरू हो गई, आलिम का नाम क्या है ?? किताब का नाम क्या है ?? कुछ नहीं जानता था,

सिर्फ इतना पता था कि मकाम ए हदीस किताब लिखने वाले का नाम परवेज़ है जो मुंकर ए हदीस है और उसका जवाब दिया जा चुका है,

फिर कानपुर के सालाना इज्तेमा का आगाज़ हुआ और में बुक स्टॉल पर नज़रे दौड़ा रहा था कि मेरी नजर एक किताब पर पड़ी " आइना ए परवेजियत ", परवेज़ का नाम देखते ही मैंने उस किताब को उठाया और उसे खरीद लिया,

ये किताब मेरे हाथ में आने के बाद मेरा इज्तेमा में मन नहीं लगा ऐसा लगा जैसे घर पहुंच कर अपने सारे शक वा शुबा दूर कर लूं और हकीकत से रूबरू हो जाऊं,

इस किताब में सबसे पहले मैंने बुखारी की काबिल ए ऐतराज़ 40 हदीस का जवाब पड़ा जो परवेज़ साहब ने किया था, यकीन मानिए इस किताब को पढ़ने के बाद मेरे सारे इश्काल दूर हो गए , और अल्लाह ने मुझे राह ए रास्त से भटकने से बचा लिया,

साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: islamicleaks.com