Thursday, August 13, 2020

IN 6 BAATON KI WAJAH SE AAPKO AAJ HI SE NAMAZ SHURU KAR DENA CHAHIYE



#इन_6_बातों_की_वजह_से_आपको_आज_ही_से_नमाज़_शुरू_कर_देना_चाहिए


ज़िन्दगी गुज़ारने के साथ इस्लाम में ख़ुदा की इबादत करना बहुत ज़रूरी और लाज़मी है। और नमाज़ उन इबादतों में से एक है जिस से इस दुनिया में हमारी जिस्मानी और रोहानी पाकीज़गी बरक़रार रहती है और फिर हमारे मरने के बाद हमें मुश्किलों से निजात दिलाती है। हमने देखा है कि आमतौर पर बहुत से लोग बिना किसी वजह के नमाज़ को छोड़ देते हैं।

आज, मैं आपको 6 ख़ास वजहें बताऊंगी  कि क्यूँ आपको आज से ही नमाज़ शुरू कर देनी चाहिए;

1. दिल का सुकून

जब इंसान खाना खाता है तो उसके जिस्म की भूक मिटती है लेकिन जब अल्लाह की याद करता है तो उसकी रूह की भूक मिटती है इसीलिए जब कोई नमाज़ अदा करता है तो वह अंदरूनी तौर पर बहुत इतमिनान महसूस करता है । और इस्लाम में नमाज़ पर इतना जोर दिया गया है कि अगर आप बीमार हैं, तो भी आप के लिए नमाज़ माफ़ नहीं है । नमाज़ के कई वैज्ञानिक फ़ायदे हैं, जो योग करने से कहीं बढ़कर हैं ।


2. अल्लाह की ख़ुशी


अल्लाह कुरान में फ़रमाता है, “मैं क़रीब हूँ” और एक दूसरी जगह “तुम मुझ से सवाल करो ( मांगो ) मैं तुम्हें जवाब दूंगा”। नमाज़ उन चीज़ों में से एक है जो अल्लाह SWT को बहुत पसंद हैं, जब कोई बंदा नमाज़ पढ़ता है, तो अल्लाह यह देखकर बहुत खुश होता है कि उसका बंदा उसको याद कर रहा है और उसकी इबादत कर रहा है और उससे रहमत और बरकत की भीक माँग कर रहा है।


3. हमारे नबी स.अ.की सुन्नत और आँखों की ठंडक
नमाज़ अदा करना हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद (स.अ.) की सुन्नत है, और हदीस में नबी स.अ. ने फ़रमाया है कि नमाज़ मेरी आखों की ठंडक है इसीलिए पैगंबर मुहम्मद (PBUH) बीमारी की हालत में भी नमाज़ के लिए मस्जिद जाते थे। ताज्जुब है कि हम अपने आपको नबी का गुलाम तो मानते हैं लेकिन जिस चीज़ से नबी स.अ.की आँखों को ठंडक पहुँचती हो वो काम करते नहीं, कैसी मुहब्बत है ये |


4. आखिरत का सब से पहला सवाल


“क्या आपने नमाज़ पढ़ी ?” यह पहला सवाल है जो बन्दे के मरने के बाद सब से पहले पूछा जाएगा। नमाज़ इतनी अहमियत रखती है कि जब हम आखिरी दिन अल्लाह के सामने खड़े होंगे, तो वह सब से पहले उन नमाज़ों के बारे में ही पूछेगा जिन्हें हमने वक़्त पर सुकून व इतमिनान से अदा की थी ।


5. सभी समस्याओं का समाधान


तनाव, डिप्रेशन जैसी समस्याएं हैं जो एक व्यक्ति को हराम चीजें करने पर भी उभारती हैं और इंसान का सुख चैन छींन लेती है । जब कोई शख्स नमाज़ पढ़ता है और अपने दिल का दर्द अल्लाह के सामने रखता है तो उसका दिल हल्का हो जाता है जो इस बात का इशारा है कि अल्लाह सुन रहा है, और जब अल्लाह सुनेगा, तो ये समस्याएं इंशाअल्लाह धीरे धीरे ख़ुद ही गायब हो जाती हैं, हाँ अगर आप उस पर यक़ीन रखें और उसी से मदद मांगें |


6. सब से बड़े बादशाह का दर


जैसे ही अज़ान देने वाला कहता “हय्या अलस सलाह” ( आओ नमाज़ की तरफ़) तो औरों को छोड़िये, तमाम इंसानों के सरदार हमारे नबी मुहम्मद स.अ. भी सब कुछ छोड़ कर पहले मस्जिद जाकर अल्लाह की दावत पर लब्बैक कहते थे, इसका मतलब मस्जिद बादशाहों के बादशाह का दर है जिस पर हाजिरी देना हमारे लिए बड़ी खुशनसीबी है


साभार : बहन निगार कल्फा
ब्लॉग: islamicleaks.com