भारत के अक्सर वा बेश्तर उर्दू मौलवी , मुकर्रीर, कलमकार , अदीब, शायर, सहाफी, सदर, नाजिम वा खजांची सारे मिस्कीनो को आलिमी मसाइल पर बोलने , लिखने और गरजने का जान लेवा शौक है, बेचारे हर वक़्त उर्दू में आलीमी उछल कूद करते रहते हैं,
तुर्की, सऊदी अरब और ईरान से कम बात शान के खिलाफ है जैसे भारत में ये कभी रहते ही नहीं, ऐसा लगता है उन्हें मुल्क और गैर मुस्लिम बिरादरान ए वतन से कोई ताल्लुक ही नहीं है,
बेचारे अभी तक बेखबर है के मुल्क में उनके कदमों के नीचे ज़मीन खींची जा रही है,
बदकिस्मती से मिस्कीन उर्दू वालों के शौक भी अजीब है, जिसे पसंद करते हैं आंख बंद कर उसके तलवे चाटते है और जिसे नापसंद करते हैं उसके खिलाफ सही, गलत, झूट , सच इंसाफ या बेइंसाफी सब मसक कर नफरतों में जान की बाज़ी लगाए रहते हैं,
अब इसे है देख लें, भारत में मस्जिदें बंद हैं, जुमा बंद है, दीनी मदरसे बंद हैं, इस्लामी मदारिस बंद हैं, सारे स्कूल कॉलेेज बंद हैं और ये बेचारा भारत और उसके मसाइल छोड़कर सऊदी अरब के मातम में दुबला हुआ जा रहा है, पसमांदगी और बेहिसी की इंतेहा है,