अल्लाह के कानून में बदलाव और मुनकर ए हदीस (चकडालवियों ) का शुभाह (किस्त ३)
कानून ए कुदरत में तब्दीली ना होने के सबूत में को आयात पेश की जाती है वह ये है
سُنَّۃَ اللّٰہِ فِی الَّذِیۡنَ خَلَوۡا مِنۡ قَبۡلُ ۚ وَ لَنۡ تَجِدَ لِسُنَّۃِ اللّٰہِ تَبۡدِیۡلًا ﴿۶۲﴾ ٙ
"ये अल्लाह की सुन्नत (नीति) है जो ऐसे लोगों के मामले में पहले से चली आ रही है और तुम अल्लाह की सुन्नत में कोई बदलाव न पाओगे " (क़ुरआन अल अहजाब आयात 62)
سُنَّۃَ مَنۡ قَدۡ اَرۡسَلۡنَا قَبۡلَکَ مِنۡ رُّسُلِنَا وَ لَا تَجِدُ لِسُنَّتِنَا تَحۡوِیۡلًا
"ये काम करने का हमारा मुस्तक़िल तरीक़ा है जो उन सब रसूलों के मामले में हमने बरता है जिन्हें तुमसे पहले हमने भेजा था, और हमारे काम के तरीक़े में तुम कोई बदलाव न पाओगे " (क़ुरआन अल बनी इजरायल आयात 77)
अब सवाल ये है कि कानून ए कुदरत तो ला तादाद है , कुछ कानून ग्रहों की हरकत , और उनकी शक्ल से ताल्लुक रखती हैं,
कुछ दूसरी चीज़ों की खासियत से ताल्लुक रखती हैं, जैसे पानी हमेशा नसेब की तरफ ही बहता है, तरल पदार्थ जम कर सिकुड़ जाते हैं, हवा गरम होकर ऊपर उठती है, ज़हर इंसान को मार देता है, वगेरह वगेरह
फिर कुछ कानून ऐसे हैं जो ईखलाकियत और कौमों के उरूज़ वा सवाल से ताल्लुक रखते हैं, फिर कुछ कानून ऐसे हैं जो जानदार चीज़ों के तिब्बी तकाज़ों और हयात वा मामात (Life & Death) से ताल्लुक रखते हैं,
लिहाज़ा हमें ये देखना पड़ेगा के क़ुरआन करीम जिस " अल्लाह के तरीके" या कानून ए कुदरत को बदला नहीं जा सकता करार देता है वह किस किस्म से ताल्लुक रखता है,
क़ुरआन में ये लफ्ज़ कई बार इस्तेमाल हुआ है, और उन सब मकामों के इर्द गिर्द पर नज़र डालने से ये बात बिल्कुल साफ हो जाती है के अल्लाह ताला ने जिस कानून को गैर तब्दील करार दिया है वह इंसान की ईखलाकियात से ताल्लुक रखता है और कौमों के उरूज़ वा जवाल के कानून को गैर तब्दील करार देता है,
यानी जब कोई कौम अपनी सर्काशी के बिना पर नबी को वहां से निकलने पर मजबूर कर देती है, या नबी बहुकम ए अल्लाह वहां से निकल जाता है, या कोई कौम अखलाकी पस्तियों में गिर जाती है तो वह अजाब में मुब्तिला और जवाल पाज़ीर हो जाती है, और ये अल्लाह का कानून ऐसा कानून है जिसमें बदलाव या तब्दीली ना मुमकिन है, अब ये आयात देखते हैं
وَ لَا یَحِیۡقُ الۡمَکۡرُ السَّیِّیئُ اِلَّا بِاَہۡلِہٖ ؕ فَہَلۡ یَنۡظُرُوۡنَ اِلَّا سُنَّتَ الۡاَوَّلِیۡنَ ۚ فَلَنۡ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰہِ تَبۡدِیۡلًا ۬ ۚ وَ لَنۡ تَجِدَ لِسُنَّتِ اللّٰہِ تَحۡوِیۡلًا ﴿۴۳﴾
"और बुरी-बुरी चालें चलने लगे, हालाँकि बुरी चालें अपनी चलनेवालों ही को ले बैठती है। अब क्या ये लोग इसका इन्तिज़ार कर रहे हैं। कि पिछली क़ौमों के साथ अल्लाह का जो तरीक़ा रहा है, वही इनके साथ भी बरता जाए? यही बात है जो तुम अल्लाह के तरीक़े में हरगिज़ कोई तब्दीली न पाओगे और तुम कभी न देखोगे कि अल्लाह की सुन्नत को उसके तय किये रास्ते से कोई ताक़त फेर सकती है " (क़ुरआन अल फतिर आयात 43)
وَ اِنۡ کَادُوۡا لَیَسۡتَفِزُّوۡنَکَ مِنَ الۡاَرۡضِ لِیُخۡرِجُوۡکَ مِنۡہَا وَ اِذًا لَّا یَلۡبَثُوۡنَ خِلٰفَکَ اِلَّا قَلِیۡلًا ﴿۷۶﴾
سُنَّۃَ مَنۡ قَدۡ اَرۡسَلۡنَا قَبۡلَکَ مِنۡ رُّسُلِنَا وَ لَا تَجِدُ لِسُنَّتِنَا تَحۡوِیۡلًا ﴿۷۷
"और ये लोग इस बात पर भी तुले रहे हैं कि तुम्हारे क़दम इस सरज़मीन से उखाड़ दें और तुम्हें यहाँ से निकाल बाहर करें, लेकिन अगर ये ऐसा करेंगे तो तुम्हारे बाद ये ख़ुद ज़्यादा देर न ठहर सकेंगे।
ये काम करने का हमारा मुस्तक़िल तरीक़ा है जो उन सब रसूलों के मामले में हमने बरता है जिन्हें तुमसे पहले हमने भेजा था , और हमारे काम के तरीक़े में तुम कोई बदलाव न पाओगे "
(क़ुरआन अल बनी इजरायल आयात 76-77)
مَّلۡعُوۡنِیۡنَ ۚ ۛ اَیۡنَمَا ثُقِفُوۡۤا اُخِذُوۡا وَ قُتِّلُوۡا تَقۡتِیۡلًا
سُنَّۃَ اللّٰہِ فِی الَّذِیۡنَ خَلَوۡا مِنۡ قَبۡلُ ۚ وَ لَنۡ تَجِدَ لِسُنَّۃِ اللّٰہِ تَبۡدِیۡلًا ﴿۶۲﴾ ٙ
"उनपर हर तरफ़ से लानत की बौछार होगी, जहाँ कहीं पाए जाएँगे, पकड़े जाएँगे और बुरी तरह मारे जाएँगे।
ये अल्लाह की सुन्नत (नीति) है जो ऐसे लोगों के मामले में पहले से चली आ रही है और तुम अल्लाह की सुन्नत में कोई बदलाव न पाओगे " (क़ुरआन अल अह जाब 61-62)
وَ لَوۡ قٰتَلَکُمُ الَّذِیۡنَ کَفَرُوۡا لَوَلَّوُا الۡاَدۡبَارَ ثُمَّ لَا یَجِدُوۡنَ وَلِیًّا وَّ لَا نَصِیۡرًا ﴿۲۲﴾
سُنَّۃَ اللّٰہِ الَّتِیۡ قَدۡ خَلَتۡ مِنۡ قَبۡلُ ۚ ۖ وَ لَنۡ تَجِدَ لِسُنَّۃِ اللّٰہِ تَبۡدِیۡلًا ﴿۲۳﴾
"ये काफ़िर लोग अगर इस वक़्त तुमसे लड़ गए होते तो यक़ीनन पीठ फेर जाते और कोई हामी व मददगार न पाते।
ये अल्लाह की सुन्नत है जो पहले से चली आ रही है और तुम अल्लाह की सुन्नत में कोई तबदीली न पाओगे " (क़ुरआन अल फतह आयात 22-23)
जारी.....
साभार : Umair Salafi Al Hindi
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