वो आज़ादी के दावे पर कुफ्र, शिर्क और धर्मत्याग को स्वीकार करते हैं ...
वो आज़ादी के दावे पर LGBTQ का बचाव करते हैं ...
वो आज़ादी के दावे पर मूर्ति को प्रणाम करने वाले लोगों को स्वीकार करते हैं .....
फिर भी उन्होंने एक ही दावे पर हिजाब और नकाब को स्वीकार करने से इनकार कर दिया!
साभार : Umair Salafi Al Hindi
Blog: Islamicleaks.com